झटके पर झटके देते सिंधिया समर्थक !
कीर्ति राणा ,वरिष्ठ पत्रकार
ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद जब कमलनाथ-कांग्रेस सड़क पर आ गई थी तब से इंदौर में उनके कट्टर समर्थकों को भी भाजपा अच्छी लगने लग गई थी।किंतु इन वर्षों में हुए मोहभंग का ही नतीजा है कि ग्वालियर-चंबल की तरह इंदौर के उन समर्थकों का भाजपा से मोहभंग होने लगा है जो सिंधिया की छाया बन कर पीछे-पीछे चल पड़े थए। मंत्री तुलसी सिलावट तो भाजपा ज्वाइन करने के बाद सांवेर उपचुनाव में जीत कर पुन: मंत्री बन गए।तुलसी सिलावट के साथ ही सिंधिया समर्थक समंदर सिंह चौहान, प्रमोद टंडन, मोहन सेंगर, विपिन खुजनेरी संटू, राजू चौहान, पवन जायसवाल, दीपक राजपूत, योगेश गेंदर, लक्ष्मी अवस्थी, नासिर खान, राजेश पांडे, पप्पू शर्मा को भी भाजपा अच्छी पार्टी लग गई थी।इन पांच वर्षों में इन सिंधिया समर्थकों में से सब को ही सरकार के मंडलों-निगम में सदस्य जितना सम्मान नहीं मिल पाया। राजू चौहान जरूर एमपीसीए की राजनीति में ज्योतिरादित्य की पसंद बने रहे। दो नंबर के विधानसभा चुनाव में दो कांग्रेस प्रत्याशी ने अपने तरह से इतिहास लिखा-छोटू शुक्ला इस आरोप से आज तक मुक्त नहीं हो पाए हैं कि उन्होंने दमदारी से चुनाव नहीं लड़ा, मेंदोला से हाथ मिला लिया तो मोहन सेंगर दमदारी से चुनाव लड़ने और विजयवर्गीय-मेंदोला-भाजपा के खिलाख दमखम से चुनाव लड़ने वाले नेता के रूप में स्थापित हो गए थे। अभी भी भाजपा नेता मोहन सेंगर दो नंबर में अपने दमखम पर राजनीति कर रहे हैं और इस क्षेत्र के स्थापित विजयवर्गीय-मेंदोला गुट से उनकी वैचारिक अदावत यथावत है।सिंधिया यदि दो नंबर के किसी कार्यक्रम में या विजयवर्गीय के निवास पर मुलाकात को भी आएं तो सेंगर वहां नजर नहीं आते।
लिंबोदी गांव निवासी समंदर पटेल जावद में सक्रिय हैं। जब कांग्रेस में थे यहां से टिकट चाहते थे लेकिन पूर्व सीएम के पुत्र ओम प्रकाश सखलेचा को टिकट मिला और वो जीते भी। सिंधिया का ओहदा भाजपा में जरूर बड़ा है लेकिन उनमें इतनी भी नहीं चल सकती कि सखलेचा की जगह समंदर को जावद से टिकट देने की पैरवी कर सकें। अपने भविष्य को ग्रहण मुक्त करने के लिए वे कमल की अपेक्षा कमलनाथ की शरण में आ गए। सिंधिया कोटे से नगर निगम चुनाव में दो बार पार्षद का टिकट पा चुके प्रमोद टंडन भाजपा में सिलावट के साथ आए तो जरूर, उन्हें पार्टी बैठकों-वरिष्ठ नेताओं के आगमन पर मान -सम्मान भी मिला लेकिन उनका मन लगा नहीं। सिंधिया से भावनात्मक लगाव के बाद भी भाजपा से मन उचटने का ही कारण रहा कि वो भी कांग्रेस में आ गए, पूर्व सीएम कमलनाथ 23 सितंबर को को शाम 5 गांधीभवन आ रहे हैं। उनके आगमन पर विधिवत टंडन सदस्यता लेंगे।गजब संयोग यह भी रहेगा कि सर्वाधिक लंबे समय (करीब 13 साल) शहर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे प्रमोद टंडन अब उन सुरजीत सिंह चड्डा के निर्देशों का पालन करेंगे जो कभी शहर अध्यक्ष के रूप में टंडन को सम्मान देते थे।
पालदा क्षेत्र के दिनेश मल्हार भी अब कांग्रेस के साथ हो गए थे।इंदौर जनपद की राजनीति में मल्हार का भी दखल रहा है। हाल ही में कांग्रेस में आए समंदर, टंडन और मल्हार का संगठन को कितना लाभ मिलेगा यह वक्त बताएगा लेकिन इन तीनों से राऊ विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को इस विधानसभा चुनाव में जरूर लाभ मिलना है क्योंकि ये तीनों राऊ विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं।
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