समय पर ठीक नहीं हो पाते टीबी मरीज, तीन फाउंडेशन ले रहे मरीजों को गोद
टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस ऐसी बीमारी है, जिसे लेकर आज भी बात करने में लोग हिचकते हैं। समय पर अस्पतालों द्वारा कैंप और शिविर लगाए जा रहे हैं। जिला अस्पताल द्वारा मरीजों की जांच के बार रिपोर्ट पॉजिटिव निकलने पर दवाई भी दी जा रही है लेकिन टीबी मरीज के पूरे इलाज में जितनी भूमिका दवाइयों की है उतनी ही पौष्टिक भोजन की। वे मरीज जो सक्षम नहीं हैं, दवाई तो लेते हैं पर पौष्टिक आहार नहीं ले पाते। ऐसे में शहर की तीन संस्थाओं ने मरीजों की जिम्मेदारी उठाने के लिए काम शुरू किया है।
हमदम फाउंडेशन लॉक डाउन के समय से टीबी मरीजों के लिए काम कर रहा है। संस्था ने पिछले महीने 20 टीबी मरीजों को पोषण किट दी। टीबी अस्पताल द्वारा संस्था को उन मरीजों के बारे में बताया जाता है, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। रोटरी क्लब ने हर महीने 10 से ज्यादा टीबी मरीजों की जिम्मेदारी ली। राशन में आटा, मूंग की दाल, भुने चने, मूंगफली दाना, गुड़ आदि सामान दिए जाते हैं। हम फाउंडेशन मध्यप्रदेश के हर जिले में टीबी मरीजों को गोद ले रही है। उज्जैन में इनके 5 सदस्यों की टीम ने 5 मरीजों को गोद लिया है।