रवि योग में होगी गणेश स्थापना, 19 सितंबर को चतुर्थी, मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए करें उपासना
19 सितंबर मंगलवार को चतुर्थी का पर्व मनाया जाना है। इसी दौरान पार्थिव गणेश की मूर्ति की स्थापना भी घर-घर की जा सकेगी। पं. अमर त्रिवेदी डब्बावाला के मुताबिक मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि एवं स्वाति नक्षत्र, तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में गणेशजी की स्थापना होगी। इस दिन रवि योग भी रहेगा, जो स्थापना के समय विशिष्ट लाभ देगा।
वहीं पं. मनीष शर्मा के अनुसार चंद्र दर्शन निषेध के मान से 18 सितंबर को गणेश चतुर्थी व्रत या पर्व मनाया जाना चाहिए। चूंकि गणेश चतुर्थी की उदय तिथि 19 सितंबर को रहेगी। अत: हिंदू मान्यतानुसार गणेश की पार्थिव प्रतिमा की स्थापना 19 सितंबर को कर सकते हैं।
पं. मीतेश पांडे के अनुसार 18 सितंबर की दोपहर 2.09 मिनट से चतुर्थी तिथि शुरू होकर 19 सितंबर की 3 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। चूंकि तृतीया युक्त चतुर्थी पर व्रत करना श्रेयस्कर माना जाता है। पर उदय तिथि के अनुसार 19 सितंबर को ही गणेशोत्सव पर्व मनाना श्रेष्ठ रहेगा। पं. सुधीर पंड्या के मुताबिक काल निर्णय सहित महाराष्ट्र के अन्य पंचांग में 19 सितंबर को ही पर्व मनाना बताया है।
चतुर्थी मंगलवार के दिन होने से प्रशस्त योग:
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन रविवार या मंगलवार पढ़ता हो तो उस योग में चतुर्थी प्रशस्त मानी जाती है। चतुर्थी से लेकर के चतुर्दशी तक का पुण्य फल विशेष रूप से प्राप्त होता है।
मूर्ति स्थापना में भद्रा का कोई दोष नहीं
पार्थिव गणेश प्रतिष्ठा करने में भद्रा से जुड़ा कोई भी दोष नहीं है। वैसे भी तुला राशि का चंद्रमा शुभ माना जाता है और सामान्यतः यह धन का कारक भी है, भद्रा के गणित से देखें तो यह पाताल वासिनी है। पाताल वासिनी भद्रा शुभ व धन कारक मानी गई है। इस दृष्टि से इस दिन इसका कोई दोष नहीं है।
तीन सर्वार्थ सिद्धि योग भी इसी दौरान
गणेश उत्सव के पर्व काल के दौरान यदि सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बनता हो तो पर्व की विशेषता बढ़ जाती है। इस दौरान तीन दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेंगे, जिसके अंतर्गत मनोवांछित उपासना साधना तथा अलग-अलग प्रकार की घर के उपयोगी सामग्री की खरीदी की जा सकती है।