भक्त ने बनाई महाकाल के पांच मुखारविंद की हूबहू मूर्ति
उज्जैन का एक मूर्तिकार बाबा महाकाल का ऐसा भक्त है जिसने महाकाल के मुखारबिंद को हूबहू बनाकर अपने घर रखा। अब महाकाल के स्वरूप की मूर्तियों को अपने साथ हवाई यात्रा भी करा रहा है। यही नहीं अब तक कई विदेशियों को सनातन धर्म ग्रहण भी करवा चूका है।
उज्जैन के रहने वाले सतीश सक्सेना माता पिता की मृत्यु के बाद आध्यात्म से ऐसे जुड़े की उन्होंने ड्राईंग और मूर्तिकला में सिर्फ भगवान की मूर्ति और पेंटिंग बनाई। उनकी इस कला के कारण के कई बच्चे उनसे ड्राईंग सिखने उनके घर पर आते है। सतीश ने महाकाल के उमा-महेश, चन्द्रमोलेश्वर,होलकर,मन महेश मुखारबिंद मिटटी से हूबहू बना दिए। अब जहां भी जाते है इनमे से चन्द्रमोलेश्वर को अपने साथ ले जाते है। हाल ही में सतीश ने छत्तीसगढ़ के धमतरी श्री मार्केण्डय भगवान के दर्शन यात्रा और वृंदावन गिरिराज जी यात्रा के दौरान हवाई यात्रा की। इस दौरान भगवान चन्द्रमोलेश्वर को भी अपने साथ एरोप्लेन में ले गए। हवाई यात्रा के दौरान जब लोगो को पता चलता की उज्जैन के राजा महाकाल का स्वरूप सतीश के हाथों में है तो उन्हें वैसे ही सम्मान मिलता जैसा की एक राजा को मिलता है। एयरपोर्ट पर सुरक्षा कर्मी बाकायदा भगवान चन्द्रमोलेश्वर की मूर्ति को सेल्यूट कर उन्हें आदर सम्मान के साथ हवाई जहाज तक पहुंचाते। सतीश सक्सेना बताते है की आने वाले समय में चारधाम की यात्रा पर भी भगवान चन्द्रमोलेश्वर को साथ लेकर जाएंगे । वृंदावन में हरिहर मिलन करवा चुके है अब केदारनाथ में महाकाल को लेकरसतीश ने बताया कि कोरोना काल में जब सवारी का मार्ग बदल दिया था तो बड़ी पीड़ा हुई , और तभी सोचा की महाकाल के सभी मुखारबिंद को बनाया जाए और उनका पूजन कर सभी दूर उनको साथ ले जायेंगे तभी से ये सिलसिला चल पड़ा और अब जहां भी में जाता हु इन मुखारबिंद को साथ ले जाता हु।