सभी शिक्षकों का एक ही नाम और एक समान वेतन होना चाहिए
संदीप कुलश्रेष्ठ
हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षकों की पंचायत बुलाई और उन्हें अनेक सौगातें दी। किन्तु प्रदेश में अभी शिक्षकों के अनेक नाम प्रचलित में हैं। और अलग-अलग वेतन भी हैं। जैसे शिक्षक, अतिथि शिक्षक, गुरूजी आदि। छात्रों के भविष्य का निर्माण करने वाले भाग्य विधाता के साथ यह कैसा अन्याय है ? उनका खुद का भविष्य ही तय नहीं हैं और उन्हें हम छात्रों के भविष्य के निर्धारण की अहम जिम्मेदारी दे रहे हैं। अब बहुत हो चुका। यह सब बंद होना चाहिए। शिक्षकों का सिर्फ एक ही नाम होना चाहिए। वह है शिक्षक। केवल शिक्षक। अतिथि शिक्षक, गुरूजी आदि नाम हटा देना चाहिए। यही नहीं अतिथि शिक्षकों, गुरूजी से बैगार लेना भी बंद किया जाना चाहिए। सबका एक काम है, वह है शिक्षा देना। और सबका एक ही वेतन, एक समान होना चाहिए। यह जब भी होगा तब सही मायने में शिक्षकों को सौगात मानी जायेगी।
अतिथि शिक्षकों का मानदेय किया दोगुना -
मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों की कुल संख्या 67,909 है। इनमें से वर्ग 1 के 15,920, वर्ग 2 के 38,294 और वर्ग 3 के 13,695 अतिथि शिक्षक हैं। हाल ही में शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षकों को उनके मानदेय को दोगुना कर दिया है। अब वर्ग 1 के अतिथि शिक्षकों को 9000 की बजाय 18000 रूपए मानदेय मिलेगा। वर्ग 2 के अतिथि शिक्षकों को 7000 की बजाय 14000 रूपए मानदेय मिलेगा। वर्ग 3 के अतिथि शिक्षकों को 5000 की बजाय 10000 रूपए मानदेय मिलेगा। पहले उन्हें श्रम अधिनियम के अन्तर्गत न्यूनतम वेतन भी नियमानुसार नहीं दिया जा रहा था। अब जाकर स्थिति थोड़ी सुधरी है, किन्तु यह पर्याप्त नहीं है।
मुख्यमंत्री ने दी अनेक सौगातें -
मुख्यमंत्री ने अतिथि शिक्षकों को और भी अनेक सौगातें दी है। उनमें प्रमुख है- शिक्षक भर्ती में उन्हें 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। प्रत्येक माह की निश्चित तारीख को उन्हें मानदेय दिया जायेगा। गुरूजी की तरह अलग से भर्ती कर नियमित किया जायेगा। इसके साथ ही उनका अनुबंध पूरे वर्ष के लिए किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने अतिथि शिक्षकों की सालों बाद सुध ली है। सुध लेना भी चाहिए, किन्तु यह पर्याप्त नहीं है। उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए।
अतिथि शिक्षक और गुरूजनों के साथ हो न्याय -
देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन खुद अपने जीवन में एक शिक्षक रहे। इसलिए उनका जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में सारे देशभर में मनाया जाता है। यदि सच्चे मायने में हमें शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का सम्मान करना चाहते हैं, तो शिक्षक के नाम पर उनके साथ हो रहे अन्याय को भी खत्म करना चाहिए। वर्तमान में शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन मिल रहा है, किन्तु अतिथि शिक्षक और गुरूजी के नाम से उनसे बैगार ली जा रही है। उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा, बल्कि मानदेय दिया जा रहा है। यह मानदेय वेतन की श्रेणी में नहीं आता है। और यह मानदेय भी बहुत कम दिया जा रहा था, जिसे मुख्यमंत्री ने हाल ही में दोगुना किया है। मुख्यमंत्री का प्रयास सराहनीय है। किन्तु उन्हें शिक्षकों के नाम से अतिथि शिक्षकों और गुरूजी को दिए जा रहे मानदेय को समाप्त करते हुए सम्मानजनक वेतन दिया जाना चाहिए। क्योंकि एक शिक्षक जो कार्य करता है, वहीं कार्य अतिथि शिक्षक और गुरूजी करते है। जब सभी एक सा कार्य करते हैं तो उन्हें एक सा वेतन भी दिया जाना चाहिए। अतिथि शिक्षक और गुरूजी, संविदा और अनुबंध पर रखे जाते है। यह भी समाप्त होना चाहिए। और सभी अतिथि शिक्षक और गुरूजी को एक समान नाम और एक समान वेतन मिलना ही चाहिए। हम उम्मीद करते है कि प्रदेश के मुखिया इस ओर ध्यान देंगे और उनके साथ बरसों से हो रहे अन्याय को समाप्त करेंगे।
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