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नरोत्तम और भूपेंद्र सिंह को घेरने की प्लानिंग कर ली कांग्रेस ने


चुनावी चटखारे

कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार

                      शिवराज सरकार के मंत्रियों को घेरने पर कांग्रेस ने काम शुरु कर दिया है। फिलहाल जिन दो मंत्रियों को निपटाने की प्लानिंग की है उनमें एक मंत्री पिछले कई सालों तक शिवराज सिंह के अति प्रिय-विश्वस्त भूपेंद्र सिंह हैं जिनसे फिलहाल मुख्यमंत्री ने दूरी बना रखी है। दूसरे मंत्री नरोत्तम मिश्रा कहलाते तो सरकार के फायर ब्रिगेड हैं लेकिन शिवराज सिंह से कभी पटरी नहीं बैठी तो उसकी वजह है नरोत्तम की दिल्ली के नेताओं से सीधी बातचीत और मप्र के सीएम बनने का सपना। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपनी भोपाल यात्रा के दौरान नरोत्तम मिश्रा का आतिथ्य स्वीकार कर के मप्र के नेताओं को मिश्रा के प्रति सॉफ्ट कार्नर का संदेश भी दे चुके हैं।
                       अभी मध्य प्रदेश में भाजपा में जो अंदरुनी कलह के किस्से हवा में तैर रहे हैं उसका सार यह भी कि सत्ता से जुड़ा एक बड़ा खेमा भी इन दोनों को लेकर टेंशन नहीं लेना चाहता।यही कारण है कि दतिया में जहां पिछले कुछ महीनों में यकायक नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ विरोध की आवाज तेज हो गई हैं वहीं खुरई ( सागर) से जीतते रहे भूपेंद्र सिंह इस बार भी जीत ही जाएं इसकी आशंका बढ़ती जा रही है। 
दतिया में इस बार नरोत्तम मिश्रा आसानी से चुनाव जीत जाएंगे, इसे लेकर खुद उनके साथ वाले भी संशय में हैं ।वजह भी यह कि उन्हें चुनावी मैदान में चित करने के लिए भाजपा के ही दो दावेदार तो उनके खिलाफ कांग्रेस से सक्रिय हो गए हैं।एक तो अवधेश नायक जो कल तक शेडो होम मिनिस्टर के रूप में दतिया में पहचाने जाते थे।वो सैकड़ों वाहनों के काफिले के साथ पहले ही कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। नायक का यह बयान बेहद चर्चित रहा है कि दतिया में मंत्री को अपने घर पर आमंत्रित करने से लोग कतराते हैं। कई मामलों में नरोत्तम के राजदार रहे नायक नरोत्तम के घोर विरोधी होने के साथ ही ऐसा साहसिक कदम उठा लेंगे इसका खुद नरोत्तम खेमे को विश्वास नहीं हुआ।

                       अब दतिया के ही एक अन्य भाजपा नेता राधेलाल बघेल ने भी नरोत्तम के खिलाफ खम ठोक दिया है।भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य रहे राधेलाल का इतिहास भी वैसे सुविधा मुताबिक दलबदल का रहा है।2008 में दतिया जिले की सेवढ़ा विधानसभा से बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते थे लेकिन 2013 में भाजपा के प्रदीप अग्रवाल से चुनाव हारने के बाद बघेल भी बहती हवा के साथ भाजपा के हो गए। 2018 के चुनाव में भाजपा ने प्रदीप अग्रवाल का टिकट काट कर उन्हें चुनाव लड़ाया लेकिन बघेल हार गए। भाजपा से मोह भंग क्या हुआ उन्हें भाजपा में तानाशाही का आलम नजर आने लगा।कांग्रेस में शामिल हो चुके बघेल कमलनाथ सहित अन्य कांग्रेस नेताओं से दतिया से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जाहिर कर चुके हैं, उनका एकमात्र लक्ष्य है नरोत्तम को हराना। 
कहां तो कांग्रेस को दतिया में नरोत्तम के विरुद्ध कोई दमदार प्रत्याशी नहीं मिल रहा था और अब जैसे बदनावर में सिंधिया समर्थक राज्यवर्द्धन दत्तीगांव के खिलाफ मैदान में उतारने के लिए पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत कांग्रेस को मिल गए हैं वैसे ही दतिया में अवधेश नायक और राधेलाल बघेल मिल गए हैं। अब कमलनाथ को तय करना है कि इनमें से किसी को मौका दें या अपने किसी तीसरे आदमी को दतिया में नरोत्तम के खिलाफ उतार कर इन दोनों को नरोत्तम की जमीन पोली करने के काम में लगा दें। 
                    गौरतलब है कि खुरई को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। खुरई विधानसभा से जीतते रहे भाजपा के भूपेंद्र सिंह के खिलाफ दमदार प्रत्याशी की तलाश पूरी न होने पर खुद दिग्विजय सिंह घोषणा कर चुके थे कि जरूरत पड़ी तो वे खुद खुरई से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में हो सकता है कि कांग्रेस कुछ अलग करते हुए इस बार ललितपुर के गुड्डू राजा को खुरई में टिकट दे सकती है। शिवराज मंत्रिमंडल में नंबर टू की नजर से देखे जाने वाले भूपेंद्र सिंह का टेंशन बढ़ने की वजह भी गुड्डू राजा बुंदेला का कांग्रेस में शामिल होना है। बुंदेलखंड की राजनीति में बुंदेला के परिवार का कितना दबदबा है यह उनके कांग्रेस प्रवेश के लिए भोपाल जाने से ही अंदाज लग गया था जब वे 1100 गाड़ियों के काफिले और  5 हजार समर्थकों के साथ कमलनाथ से मिले थे। बसपा छोड़ कर आए गुड्डू राजा को कांग्रेस खुरई विधानसभा से मैदान में उतार सकती है।वे समृद्ध राजनीतिक विरासत वाले परिवार से आते हैं।चंद्र भूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुड्डु राजा के पिता सुजान सिंह बुंदेला झांसी (यूपी) से दो बार सांसद रह चुके हैं।यूपी की राजनीति में दखल के बाद अब बुंदेला परिवार एमपी में सक्रिय हो गया है।बुंदेलखण्ड के बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले गुड्डु राजा बुंदेला पहले उत्तर प्रदेश की ललितपुर में बसपा का झंडा थामे हुए थे। अब वह बसपा से कांग्रेस में आकर मध्य प्रदेश की राजनीति में कदम रख चुके हैं।खुरई से उनका कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का मतलब होगा खुरई के परिणाम पर पूरे प्रदेश की नजरें लगी होना। 

गुन्नौर में बागरी की बगावत 

गुन्नौर से भाजपा के पूर्व विधाययक महेंद्र बागरी को भी कांग्रेस से मोह हो गया है।पन्ना जिला काँग्रेस अध्यक्ष शिवजीत सिंह के साथ भोपाल पहुंचे बागरी ने प्रदेश काँग्रेस कार्यालय में कमलनाथ की मौजूदगी में  सदस्यता ग्रहण कर ली।वो पहले भाजपा से टिकट मिलने के लिए हाथ पैर मार रहे थे, टिकिट न मिलने की नाराजी कांग्रेस की चौखट पर ले आई। 
बागरी की नाराजी का बड़ा कारण यह भी था कि पन्ना की गुनोर विधानसभा सीट से पिछले चुनाव में  हार चुके राजेश वर्मा को इस बार फिर से भाजपा ने प्रत्याशी बना दिया, जबकि उम्मीद उन्हें थी कि पार्टी से मौका मिलेगा।गुनौर विधानसभा में अब भाजपा की जीत की राह इतनी आसान नहीं होगी। 

परिवहन मंत्री राजपूत की राह में भी बिछ गए कांटें

सुरखी के विधायक-परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत के कट्टर विरोधी पूर्व जनपद एवं राहतगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष नीरज शर्मा ने भाजपा से इस्तीफा क्या दिया, रातोंरात उनके विरुद्ध पुराने मामलों में राहतगढ़ में मुकदमा दर्ज हो गया।शायद यह दवाब इसलिए भी रहा होगा कि शर्मा अपने समर्थकों के साथ वाहनों के काफिले सहित भोपाल में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने ना जा सके।शर्मा आरोप भी लगा चुके हैं कि कांग्रेस में जाने से रोकने के लिए कल से ही उनके वाहनों और बसों को जप्त करने की कार्यवाही की जा रही थी।मुकदमा दर्ज करने के बाद राहतगढ़ के लोग हजारों की संख्या में रात को ही वहां जुट गए और सुबह-सुबह सैकड़ो गाड़ियों के काफिले के साथ  भोपाल रवाना हो गए। माना जा रहा है कि इलाके के दबंग और क़द्दावर नेता नीरज शर्मा को कांग्रेस पार्टी परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत के खिलाफ अपना उम्मीदवार बना सकती है। नीरज शर्मा से पहले सुरखी विधानसभा क्षेत्र के भाजपा से निष्कासित नेता राजकुमार सिंह धनौरा कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं।वे परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के धुर विरोधी माने जाते हैं। राजकुमार सिंह धनौरा का परिवार जनसंघ के समय से भाजपा की राजनीति करता रहा था। राजकुमार सिंह को पार्टी से निष्कासित करने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।

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