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शिवपुरी में ऐसा क्या हुआ…..!


चुनावी चटखारे

कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार

               मानाकि ग्वालियर क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा यथावत है लेकिन कोई तो बात है जो उन्हें गुना-शिवपुरी संसदीय सीट को बाय बाय कहने और इस बार ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को मजबूर कर रही है।जो हालात बन रहे हैं उसमें कमलनाथ खेमा तो झूम झूम कर यही गुनगुना रहा है कि घर आया मेरा परदेसी…।गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में तो जैसे सिंधिया से नाराजी का लावा फूट पड़ा है।एक के बाद एक भाजपा नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला चल पड़ा हैँ।ऐसे तमाम नेताओं ने पार्टी छोड़ने का निर्णय तो मनमर्जी से लिया है किंतु अब कदम कांग्रेस की तरफ बढ़ाना है या दलों के ऑफर का इंतजार करना है यह निर्णय अपने समर्थकों से मंथन के बाद करेंगे। ताजा मामला कोलारस से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी से जुड़ा है।विधायक रघुवंशी ने सिंधिया समर्थकों के रवैये और सिर्फ इसी गुट के नेताओं की ही सुनने वाले अधिकारियों से नाराज होकर भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। कभी सिंधिया समर्थक रहे रघुवंशी कोलारस से जीते थे तब सिंधिया भी कांग्रेस में ही थे।रघुवंशी का तब भी आरोप था कि सिंधिया की दखलंदाजी के चलते वे अपने क्षेत्र में काम नहीं करा पाते हैं।रघुवंशी ने तब कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन कर ली थी लेकिन उन्हें क्या पता था कि खुद सिंधिया भी समर्थक विधायकों के साथ भाजपा ज्वाइन कर लेंगे।सिंधिया पर फिर आरोप लगाना शुरु कर दिए कि कोलारस में पदस्थ अधिकारी उन्हें तवज्जो नहीं देते और सिंधिया के दबाव में रहते हैं।रघुवंशी ने शिवराज सरकार द्वारा अपनी उपेक्षा     के कारण गिनाते हुए अंतत: विधायक पद से इस्तीफा देते हुए भाजपा छोड़ दी।
                  वीरेंद्र रघुवंशी पहले कांग्रेस में थे और सिंधिया समर्थक माने जाते थे।2007 में वह कोलारस विधानसभा उपचुनाव में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीते थे, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया से मनमुटाव के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी।बीजेपी ने 2018 में उन्हें कोलारस विधानसभा से टिकट दिया था और 750 वोटों से चुनाव जीतकर विधायक बने थे।माना जा रहा है कि वे फिर से कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं। विधायक रघुवंशी से पहले जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र जैन गोटू भी सिंधिया के खिलाफ नाराजी के चलते भाजपा छोड़ चुके हैं। जैन द्वारा जब भाजपा छोड़ने की खबरें सार्वजनिक होने लगी थीं तब पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रभात झा जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र जैन गोटू के घर गए थे और वहां भोजन भी किया था। उन्हें मनाने की कोशिश भी की थी, लेकिन उस समय उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन बाद में  भाजपा छोड़ने का ऐलान कर दिया। भाजपा छोड़ने वाले जितेंद्र जैन गोटू कोलारस के पूर्व विधायक देवेंद्र जैन के भाई हैं। शिवपुरी में पत्ते वालों के नाम से मशहूर जैन परिवार पिछले कई सालों से भाजपा से जुड़ा रहा है। जितेंद्र जैन गोटू के भाई देवेंद्र जैन भाजपा से शिवपुरी और कोलारस से दो बार विधायक रह चुके हैं। फिलहाल देवेंद्र जैन ने भाजपा नहीं छोड़ी है।
भाजपा छोड़ने वाले जितेंद्र जैन गोटू कोलारस विधानसभा क्षेत्र से टिकट चाह रहे हैं, लेकिन अब यादव बाहुल्य इस सीट पर बैजनाथ यादव द्वारा भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने के बाद समीकरण बिगड़ गए हैं। फिलहाल गोटू ने कांग्रेस में जाने की कोई बात नहीं की है।
                 जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र जैन से पहले एक और सिंधिया समर्थक पोहरी जनपद के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद धाकड़ (चकराना) ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। सिंधिया समर्थक नेता अरविंद धाकड़ चकराना मार्च 2020 में दलबदल के दौरान सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे।2018 के उपचुनाव के समय पोहरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुरेश धाकड़ राठखेड़ा द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामने पर यहां पर हुए उपचुनाव में उन्होंने काम किया था। भाजपा छोड़ते वक्त उन्होंने आरोप लगाए कि उपचुनाव में जो वादे जनता से भाजपा ने किए थे उनके अनुरूप काम नहीं हुआ।पोहरी में जब उपचुनाव हुए तो डबल इंजन सरकार के नाम पर हमने जनता से वोट मांगे। हम कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए लेकिन पोहरी क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ।
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