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सोयाबीन अनुसंधान केन्द्र द्वारा किसानों को सोयाबीन फसल में सिंचाई की सलाह दी गई


उज्जैन 02 भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर की अनुशंसा के आधार पर
कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि पिछले एक सप्‍ताह से वर्षा नहीं हो रही है और
सोयाबीन फसल को पानी की आवश्‍यकता है। अधिक समय तक वर्षा की प्रतिक्षा न करते हुए भूमि
में दरार पढने से पूर्व ही जिन कृषकों के पास सिंचाई की व्‍यवस्‍था है। वह अपने पास उपलब्‍ध
संसाधनो का उपयोग करते हुए सिंचाई करे यथासंभव स्प्रिंकलर से सिंचाई करे एवं नमी संरक्षण बनाए
रखने हेतु आवश्‍यक कार्य करे।
जिले में सोयाबीन की फसल पर कीट एवं रोगों का हल्‍का फूल्‍का असर देखा जा रहा है।
कृषकों को सलाह है कि अपनी फसल की सतत निगरानी करते रहे एवं किसी भी कीट या रोग के
प्रारंभिक लक्षण दिखते ही निम्नानुसार नियंत्रण के उपाय अपनाये-
 पीला मोजेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर
निष्कासित कर तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु
पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्‍सम+लेम्डा सायलोथ्रिम (125 मिली/है) या बीटासायफ्लोथ्रिन
+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का छिड़काव करें, इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी
नियंत्रण किया जा सकता है। साथ ही यह भी सलाह है कि सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु
किसान भाई अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाए।
 लगातार बारिश होने वाले क्षेत्रों मे एन्‍थ्राक्रोज नामक फंफूदजनित रोग के लक्षण दिखाई देने
पर किसान भाईयों को सलाह है कि इसके नियंत्रण हेतुटेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे)
या टेबूकोनाझोल 10प्रतिशत+सल्फर 65प्रतिशतWG (1250 ग्राम/हे) जैसेअनुशंसित फफूंदनाशकों का अपने
फसल पर छिडकारव करें.
 चक्र भृंग तथा पत्ती खानेवाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक
क्लोरएन्ट्रानिलप्रोल09.30प्रतिशत+लैम्डा सायहेलीथिन 04.60प्रतिशतZC (200 मिली/ है) या
बीटासायफ्लुथिन+ इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्‍सम+लैम्बडा
सायहेलोथ्रिन (125 मिली है) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी
नियंत्रण किया जा सकता है।

फसल सुरक्षा के अन्य उपाय

 खेत के विभिन्न स्थानों पर निगरानी करते हुए यदि आपको कोई ऐसा पौधा मिले जिस पर
झुण्ड में अंडे या इल्‍लीया हो ऐसे पौधों को खेत से उखाड़कर निष्काषित करे।
 जैविक सोयाबीन उत्पादन में रुची रखने वाले कृषका गणपती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपुर,
तंबाखू की इल्ली की छोटी अवस्था की रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा व्युवेरिया

बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1) का प्रयोग कर सकते हैं। यह भी सलाह है कि प्रकाश प्रपंच
का भी उपयोग कर सकते हैं।
 सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठने हेतु आकार के बड़े पर्चेस लगाये। इससे कीट-
भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
 किसी भी प्रकार का कृषि आदान क्रय करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल में जिस
पर बेच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।
 जिन रसायनों (कीटनाशक/खरपतवारनाशक/फंफूदनाशक) के मिश्रित उपयोग की वेज्ञानिक
अनुशंसा नही हो या पूर्व अनुभव नही है ऐसे मिश्रण का कदा भी उपयोग नही करें, इससे
फसल को नुकसान हो सकता है।
 अधिक जानकारी के लिए अपने नजदिकी कार्यालय वरिष्‍ठ कृषि विकास अधिकारी/ग्रामीण
कृषि विस्‍तार अधिकारी/कृषि विज्ञान केन्‍द्र उज्‍जैन से संपर्क करें।

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