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महाकाल मंदिर और लोक के आसपास हो नो व्हीकल जोन


डॉ. चन्दर सोनाने

                 इस वर्ष अधिक मास होने के कारण श्रावण माह की शुरूआत 4 जुलाई से हुई और 28 अगस्त 2023 को अधिक मास समाप्त हुआ। इस दौरान सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2 करोड़ 3 लाख भक्तों ने बाबा महाकालेश्वर भगवान के दर्शन किए। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा पहली बार श्रावण माह में श्रद्धालुओं की गणना करने के लिए स्मार्ट सिटी से हेड काउंट डिवाईस लगवाया था। इसके माध्यम से पता चला कि इस वर्ष श्रावण और अधिक मास में 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का उज्जैन में आगमन हो चुका था।
                महाकाल लोक बनने के पूर्व की तुलना में महाकाल लोक बनने के बाद करीब 8 गुना अधिक श्रद्धालुओं की वृद्धि हो गई है। पूरे भारत के मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए अब महाकाल मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की प्रतिदिन की औसत संख्या डेढ़ लाख हो गई है। इस कारण लगभग प्रतिदिन महाकाल मंदिर और महाकाल लोक के आसपास वाहनों का जाम लगना सामान्य सी बात हो गई है। इस कारण श्रद्धालुओं और आमजनों को अत्यधिक असुविधा हो रही है। उसको देखते हुए अब यह जरूरी हो गया है कि उज्जैन का ट्रैफिक प्लान नये सिरे से बनाया जाए। इसमें यह किया जाना जरूरी है कि महाकाल मंदिर और महाकाल लोक के आसपास के कम से कम एक किलोमीटर के क्षेत्र में नो व्हीकल जोन हो। अर्थात् इस एक किलोमीटर के क्षेत्र में कोई भी चार पहिया, तीन पहिया और दो पहिया वाहन आने जाने नहीं पाए। केवल बुर्जुगां और निःशक्तों के लिए विशेष ई-रिक्शा चलाया जाना चाहिए। इसके अलावा इस एक किलोमीटर के क्षेत्र में कोई भी किसी भी तरह के वाहनों का आना-जाना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। वीआईपी को भी ई-रिक्शा के ही उपयोग के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
                 श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में महाकाल लोक बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। महाकाल लोक को बने अभी केवल 10 महीने हुए है। पहले चार महिनों में श्रद्धालुओं की संख्या पूर्व की तुलना में 3-4 गुना बढ़कर औसत प्रतिदिन 70 हजार तक पहुँच गई थी। इसके बाद तो जैसे-जैसे महाकल लोक की ख्याति देशभर में पहुँचने लगी, श्रद्धालुओं का तांता लग गया। पिछले 6 माह के आँकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो प्रतिदिन 1 लाख 50 हजार श्रद्धालु रोजाना उज्जैन आए। सावन और अधिक मास में रोज औसत करीब साढ़े तीन लाख लोगों ने बाबा महाकाल के दर्शन किए। गत वर्ष करीब 20 हजार श्रद्धालु औसत रोजाना आते थे। इसके साथ ही होटल, खान-पान, यातायात जैसे कामधंधे भी सीधे तीन गुना बढ़ गए हैं।
                 उज्जैन आकर बाबा महाकाल के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं में से अधिकतर खंडवा जिले के ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग दर्शन के लिए भी जा रहे हैं। इस कारण ओंकारेश्वर में भी श्रद्धालुओं की संख्या 3 से 4 गुना बढ़ गई है। देश के प्रमुख मंदिरों की बात करें तो उनमें सबसे अधिक 1 लाख 50 हजार औसत प्रतिदिन की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए ही आ रहे है। ओंकारेश्वर में प्रतिदिन औसत 50 हजार, वैष्णोदेवी मंदिर में 75 हजार, तिरूपति बालाजी मंदिर में 80 हजार, काशी विश्वनाथ में 75 हजार, शिरडी के सांईधाम में 70 हजार और खाटू श्याम मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की रोजाना की औसत संख्या 16 हजार ही है। इस मान से देश में महाकालेश्वर मंदिर अकेला ऐसा मंदिर हो गया है, जहाँ औसत रोजाना डेढ़ लाख श्रद्धालु आ रहे हैं।
                महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में नागपंचमी पर्व पर 8 लाख 50 हजार श्रद्धालु उज्जैन आए थे। यह संख्या अब तक देश में सर्वाधिक है। इसी प्रकार महाकाल मंदिर में आने वाली दान राशि में भी 8 गुना की वृद्धि हो गई है। पिछले साल मंदिर में करीब औसत 7 से 8 लाख रूपए की दान राशि प्राप्त होती थी। यह बढ़कर अब रोजाना औसत 50 लाख रूपए हो गई है।
                महाकालेश्वर मंदिर में दिनों दिन बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए यातायात व्यवस्था को नए सिरे से समीक्षा करने की सख्त आवश्यकता है। अभी नगर की यातायात व्यवस्था गत वर्ष की दर्शनार्थियों की संख्या के मान से ही है, किन्तु अब गत वर्ष से इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में करीब 8 गुना अधिक वृद्धि होने के कारण 8 गुना अधिक यातायात की सुविधाएँ श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जानी चाहिए। इस समिति को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का भ्रमण भी जरूर करना चाहिए। वर्तमान स्थिति में पूरे देश में सबसे अच्छी यातायात व्यवस्था स्वर्ण मंदिर क्षेत्र की ही कही जा सकती है। और समिति द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार यातायात की नवीन व्यवस्था की जानी चाहिए।
                  श्रद्धालुओं की 8 गुना वृद्धि को देखते हुए यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि चार पहिया वाहनों में भी 8 गुना वृद्धि हुई होगी। अभी हमारे पास केवल ढाई हजार वाहनों को रखने के लिए पार्किंग सुविधा है। इसके लिए जरूरी है कि मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जाए। अब जो भी पार्किंग स्थल बनाए जाए वे मल्टीलेवल ही बनाए जाने चाहिए, ताकि कम जगह में अधिक वाहन पार्क किए जा सके। उसके साथ ही यह भी जरूरी है कि महाकाल मंदिर क्षेत्र, महाकाल लोक क्षेत्र और नए एवं पुराने शहर की सड़कों को पर्याप्त चौड़ा किया जाए। यह भी करना आज के समय में नितांत आवश्यक है। इस पर जितनी जल्दी ठोस सोच विचार कर निर्णय लेकर योजना को क्रियान्वित किया जाएगा, उतना ही श्रद्धालुओं और आमजन के लिए सुविधाजनक हो सकेगा।
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