दसवीं के छात्र ने महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं का गुम पर्स लौटाया,मिला आशीर्वाद
उज्जैन में श्रद्धालुओं के साथ ठगी,चोरी,अभद्रता आदि की शिकायत आए दिन मिलना अब लगभग आम बात हो चुकी है,इसी शर्मनाक भरे दौर के बीच एक दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले प्रद्युमन बैरागी निवासी(लालबाई फुल बाई मार्ग चौराहा उज्जैन) नामक छात्रा ने ईमानदारी का परिचय देते हुए आज सुबह महाराष्ट्र से महाकाल दर्शन करने पहुंची महिलाओं का गुम पर्स लौटाया,जिस पर उक्त महिलाओं ने प्रद्युमन के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया,निश्चित रूप से श्रद्धालुओं के साथ लगातार पापाचार से जुड़ी घटनाओं के बीच यह एक वाक्या मिसाल के रूप में सामने आया है,,
लगातार समय-समय पर कुछ ईमानदार ऑटो चालक आदि भी श्रद्धालुओं के समान आदि लौटाते आए हैं इसी बीच प्रद्युमन के लिए शाबाशी भारी खबर इसलिए जरूरी है कि कक्षा दसवीं 15-16 साल की उम्र के बच्चे को लेकर जहां हमें आमतौर पर मिस बिहेव,धूम्रपान, नशाखोरी,,,कूसंगति,आपराधिक प्रवृत्तियों में लिप्त होने की घटनाएं देखने में आती है,तो दूसरी और यह वाक्या अन्य बच्चों के लिए भी सु-संस्कार भारी दिशा दर्शाने के लिए काफी होगा,,दसवीं कक्षा का छात्र जिसके मन में लालच आना भी संभव था,,पर ईमानदारी दिखाई तो जब प्रद्युमन से हमने बात की तो उसने बताया कि हमारे यहां राखी पर मेहमान आए थे उनके साथ में महाकाल मंदिर दर्शन करने पहुंचा था,हम महाकाल मंदिर परिसर में घूम रहे थे इस दौरान मुझे पर्स गिरा हुआ दिखाई दिया, खोलकर देखा तो आधार कार्ड और ₹5000 रू. थे,परिसर में ही श्रद्धालुओं के बीच मैंने उन्हें ढूंढने की कोशिश की आधार कार्ड के हिसाब से कुछ चेहरे नजर आए तो उनसे पूछा कि आपका पर्स गुम हुआ है तो एक महिला बोली हां,,इस पर मैंने उनसे अपना पता पूछा जो की आधार कार्ड में लिखा हुआ पते से सेम निकला,,तो उन्हें पर्स लौटा दिया वे बहुत खुश हुए,,महाकाल के जयकारे लगाए और कहा कि बाबा की नगरी में बच्चे भी कितनेईमानदार है,,,
निश्चित रूप से ऐसे अच्छे कृत्य नगर के साथ ही धर्म ध्वज की अलख और बढ़ा देते हैं क्योंकि ये महिलाएं महाराष्ट्र में जिस किसी से भी मिलेगी उज्जैन की तारीफ और महाकाल की कृपा से बच्चे को सद्बुद्धि की चर्चा जरूर करेगी,वहीं जब श्रद्धालु हमारे शहर में ठगी चोरी मारपीट और अन्य लूटपाट के शिकार होते हैं तो अपने गन्तव्य को लौटने के बाद निश्चित रूप से इन घटनाओं की भी चर्चा जरूर करते होंगें,, कि वहां जाओ तो सावधान रहना ऐसा हो गया था वैसा हो गया था,,अब शासन प्रशासन को अपना काम करने दो,,उज्जैन के नागरिकों को चाहिए कि हम आगंतुक का स्वागत ना कर सके तो ना सही परंतु अपने-अपने पेशे से जुड़े विषय जैसे होटल लॉज पार्किंग पब्लिक ट्रांसपोर्ट जिसमें ऑटो ई रिक्शा मैजिक खाना चाय नाश्ता मंदिर से जुड़ी फ्रीसुविधा आदि जैसे भी जो श्रद्धालु संपर्क में आए उनसे तय मापदंड के आधार पर ही व्यवहार करें धीरे-धीरे आप देखेंगे हमारा शहर फिर आगंतुकों के लिए मिसाल बनेगा,,ईमानदारी के लिए,,,कुशल व्यवहार के लिए,,, स्वागत सत्कार के लिए,,निश्चित रूप से हम देश के तमाम धार्मिक स्थल में नंबर वन बन सकते हैं,,सिर्फ एक इच्छा शक्ति की आवश्यकता है,,,