दीदी-दादा के बाद - शिवराज याने भैया - मामा की सरकार...
ना काहू से बैर
राघवेंद्र सिंह,वरिष्ठ पत्रकार
भोपाल- मध्य प्रदेश में 2003 से लेकर अब तक कोई 18 साल तक भाजपा के नेतृत्व वाली उमा दीदी,दादा बाबूलाल गौर और उसके बाद करीब साढ़े अट्ठारह साल से भैया के साथ मामा बने शिवराज सिंह चौहान की सरकार है। शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तब तक वह जगत भैया थे। लेकिन चुनाव के दौरान उन्होंने महिला वोटर के बेटा बेटियों के मामा होने का एक जबरदस्त इमोशनल रिश्ता बनाया। सब जानते हैं देश भर में भाई का बहन के बच्चों के साथ मामा का सबसे भावुक करने वाला नाता होता है। शिवराज सिंह देश के अकेले ऐसे मुख्यमंत्री है जिनका इस किसिम का दोहरा नाता वोटर बहनों और उनके बच्चों से कायम हुआ है। चुनावी साल में बहनों और भांजे-भांजियों के लिए उन्होंने अपनी जुबान और दिल की तरह प्रदेश के खजाने को भी खोल दिया है। पहले कन्याओं के लाडली लक्ष्मी और अब हर महीने करीब सवा करोड़ लाडली बहनों को एक एक हजार रु सीधे उनके बैंक खाते जमा हो रहे हैं। इस योजना ने जिस भाजपा को बुरी तरह बैकफुट पर धकेल दिया था देखते ही देखते वह बढ़त बनाती दिखाई देती है। एक तरह से शिवराज सिंह ने इलेक्शन का गेम प्लान ही बदल दिया है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अग्रेसिव मूव ने पार्टी व कार्यकर्ताओं में आशा का संचार कर दिया है। कांग्रेस की कर्नाटक में जीत के बाद मप्र में कांग्रेस की एक तरफा बढ़त को थोड़ा पीछे खिसकता देखा जा रहा है। सूबे में जमीनी स्तर पर कछुआ चाल से काम कर रहे दिग्विजयसिंह और कमलनाथ की कांग्रेस मामा की काट खोजने में लगी है।
असल मे हर महीने बहनों के खाते एक हजार रुपए के बाद राखी के त्यौहार पर भैया शिवराज का एक हजार के साथ ढाई सौ रुपए का रिटर्न गिफ्ट, कांग्रेस का गैस सिलेंडर पांच सौ रुपए में देने के वादे को हवा उड़ाते हुए सीएम शिवराज ने साढ़े चार सौ रुपए में देने के ऐलान ने यह मुद्दा भी कांग्रेस से लगभग छीन लिया है। एक कदम आगे बढ़कर भैया मामा ने यह भी कह दिया है कि वे दीपावली पर भी कुछ सौगाते देने वाले हैं। जाहिर है में सरकार में होने के ये लाभ तो है हीं कि वादे के बजाए घोषणा पर त्वरित अमल करो। अब कांग्रेस यहां अपने को असहाय महसूस करती है। असल मे 2018 के विधान सभा चुनाव में शिवराज सरकार किसानों के दो लाख तक का कर्जा माफ करने के कांग्रेस के वादे के सामने पीट गई थी। सीएम शिवराज सिंह और उनके वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा था कि सूबे की माली हालत ऐसी नही है कि किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ किया जा सके उन्होंने कहा कि हम झूठे वादे नहीं कर सकते लेकिन कांग्रेस के वादे के सामने किसान वोट बीजेपी से टूटकर कांग्रेस में चला गया परिणाम स्वरूप भाजपा सरकार से बाहर हो गई। इस मुद्दे पर दूध की जली भाजपा छाछ भी फूंक फूंक कर पी रही है। कांग्रेस ने वादा किया था कि वह रसोई गैस का सिलेंडर ₹500 में देगी शिवराज सरकार ने रक्षाबंधन गिफ्ट के तौर पर साढ़े चार सौ रुपए में देने का ऐलान कर दिया। जरूरतमंदों को 100 यूनिट बिजली फ्री 200 यूनिट बिजली खर्च करने पर देहाती दर और बिजली का बिल जीरो करने का भी वादा करो उसे अमल में लाने की कोशिश शुरू कर दी गई है किसानों को भी बिजली में रियायत देने की बात हो रही है तो कुल मिलाकर दीदी दादा के बाद भैया मामा शिवराज की सरकार अब पूरे फॉर्म है और ₹1000 बहनों को देने से लेकर भांजे भांजे को साइकिल स्कूटी लैपटॉप ऑनर सीखने के बदले 8 से ₹10000 महीने देने के फैसले में कमजोर भाजपा को मजबूत बनाने की तरफ महत्वपूर्ण कलम उठाएं है। इस तरह की घोषणा को भाजपा के पक्ष में अंडर करंट के रूप में भी देखा समझा जा रहा है आने वाले दिनों में इन तमाम मुद्दों पर सर्वे भी होगा और जनता से बातचीत में इसके असर पर फिर राजनीतिक पंडित अपने-अपने गणित लगाएंगे। अभी तो केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर उनकी टीम के चेहरे पर रौनक बढ़ती हुई दिख रही है। हालांकि अभी से कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। अनुमान और अटकलों के बीच प्रत्याशी घोषित होने के बाद राजनीति का दृश्य कुछ साफ नजर आएगा।
गांव की मिट्टी में पले बढ़े शिवराज सिंह सीएम बनते ही शायद समझ गए थे कि राजनीति में देर तक रहना है और दूर तक जाना है तो मतदाताओं से भैया के बाद मामा का रिश्ता उन्हें बाकी नेताओं से अलग और मजबूत बनाएगा। इस नाते की ताकत को महसूस करने के बाद उन्होंने भैया के बाद जगत मामा कहलाना पसंद किया। भैया के साथ मतदाताओं से खासकर स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले बेटा- बेटियों के मामा से कम कुछ बनना भी नही चाहते। इसलिए उन्हें साइकिल से लेकर स्कूटी , लेपटॉप सब दिल खोल कर दे रहे हैं। उच्च शिक्षा के लिए लोन, पढ़ाई के बाद स्वयं के रोजगार के लोन अब मुख्यमंत्री की हुनर सीखो और कमाओ योजना में हर महीने आठ से दस हजार रुपए। अब तक आठ लाख सत्तर हजार "भैया- मामा" के भांजे भांजियों को लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। इसके बाद अधिकांश को जहां ट्रेनिंग मिल रही है उन्ही कम्पनियों में नौकरी भी। नौकरी नहीं मिलने की हालत में स्वरोजगार के लिए मां ने कहा है कि उनकी सरकार लोन दिलाने की व्यवस्था भी करेगी। सीएम शिवराज सिंह अपने भाषणों में पूरी ताकत से इस बात का उल्लेख करते हैं चिंता मत करो खूब पढ़ो तरक्की करो तुम्हारा मामा सारे इंतजाम करेगा। भैया का रिश्ता ही बहुत सब पर बहुत भारी पड़ रहा था ऊपर से ये जगत मामा के नाते ने उन्हें अपने आगे और पीछे की एक एक पीढ़ी के नेताओं से काफी आगे खड़ा कर दिया है। उनकी यही ताकत अन्य नेताओं से लंबे समय तक अलग और आगे रखेगी।
चुनावी मौसम में एक नारा खूब चल रहा है डबल इंजन की सरकार। मतलब जिस पार्टी की सरकार केंद्र में है उसी पार्टी की सरकार राज्य में भी हो। ताकि शिकवे शिकायत न हो। कर्ज में सिर से पैर तक डूबे प्रदेशों को भी विकास के लिए जरूरत के मुताबिक सब तरह की मदद मुहैया होती रहे।
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