नाम का स्मार्ट सिटी उज्जैन अव्यवस्थाओ का अम्बार
उज्जैन स्मार्ट सिटी ने उज्जैन में अलग अलग विकास कार्य किये है लेकिन कुछ काम ऐसे है जो शायद आज भी जनता के लिए न के बराबर है शिप्रा को शुद्ध करने पर करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं लेकिन अभी तक शिप्रा शुद्ध नहीं हो पाई है। अभी भी 14 नालों का गंदा पानी मिलता है। वहीं बारिश के समय तो यह परेशानी और बढ़ जाती है। गंदा पानी मिलने से रोकने के लिए स्टार्म वॉटर की लाइन डाली गई है। इसमें नालों को जोड़ दिया है, जिससे बारिश में जब नालों में बहाव ज्यादा होता है तो चैंबर ओवरफ्लो हो जाते हैं। समय समय पर शिप्रा में नाले में मिलने के वीडियो भी वायरल हुए है जिसमे कई बार उज्जैन में आने वाले भक्त नाराज नजर आये है वही पण्डे पुजारियों ने इसका विरोध भी किया है वही उज्जैन में ट्रेफिक की बात करे तो महाकाल लोक बनने के बाद बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में आठ गुना इजाफा हुआ। इसके लिए सड़कों की संख्या बढ़ाना होगी। वहीं ट्रैफिक को लेकर स्मार्ट पॉलिसी पर काम करना होगा। सबसे अहम है मल्टीलेवल पार्किंग। अभी हमारे पास 2500 वाहनों को रखने की पार्किंग हैं। इन्हें बढ़ाना भी जगह कम होने के कारण संभव नहीं। ऐसे में मल्टीलेवल पार्किंग के काॅन्सेप्ट पर शहर को लाना होगा, जिससे उतनी जगह में 10 हजार से अधिक वाहन पार्क किए जा सकें। वही स्मार्ट सिटी में आने वाले भक्तो को समझ नहीं आता है की जाए तो जाए कहाँ कोई मार्ग बताने वाला नहीं रोजाना वाहन गुथमगुथा नजर आते है
सड़को के चौड़ीकरण की बात की जाये तो कुछ सड़कें चौड़ी की है लेकिन अब भविष्य के हिसाब से अभी से प्लान करना होगा। पुराने शहर की सड़कों से लेकर महाकाल लोक के आसपास की सड़कों को चौड़ा कर स्मार्ट बनाना होगा, जिससे बाहर से आने वाले वाहनों के लिए जगह हो। अभी आम दिनों में भी हरिफाटक ब्रिज और पुराना शहर जाम हो जाता है। उज्जैन में अव्यवस्थाओ का अम्बार है सब भगवान भरोसे है फ़िलहाल पुरे शहर की व्यवस्थाओ पर ठोस निर्णय की अव्य्श्यकता है वर्ण उज्जैन नाम का स्मार्ट सिटी कहलायेगा