top header advertisement
Home - उज्जैन << पर्यावरण संरक्षण का संदेश

पर्यावरण संरक्षण का संदेश


रक्षाबंधन में बांधी जाने वाली राखी के द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। शहर में फल और सब्जियों के बीजों से निर्मित राखियां बनाई जा रही हैं। इन राखियों में लौकी, तुरई, सीताफल, भिंडी, गिलकी जैसी कई सब्जियों व फलों के बीजों का उपयोग कर उन्हें रेशम के डोर से बने फूलों में सजा राखी के रूप में बनाया जा रहा है।

जब यह राखी बहन अपने भाई को देती है तो यही संदेश रहता है कि इस राखी को निकालकर किसी कूड़ेदान में न डालते हुए गमले में गाड़कर थोड़ा सा पानी डाल दिया जाए ताकि एक पौधे का जन्म हो सके। इन राखियों से तैयार पौधे न सिर्फ भाई-बहन के प्यार को दर्शाता है बल्कि ऑर्गेनिक खेती की तरफ भी लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। बीजों से राखी निर्माण कार्य शुभ संदेश सामाजिक कल्याण समिति अध्यक्ष एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पैरालीगल वॉलेंटियर प्रीति गोयल द्वारा 7-8 साल से किया जा रहा है।

इनका मुख्य उद्देश्य स्वदेशी राखियों को बढ़ावा देना है ताकि हमें चीन या किसी और देश से राखी बनाने के लिए समान नहीं लेना पड़े। दूसरे देश हमसे कमाए हुए रुपयों का उपयोग हमारे देश के विरुद्ध गलत गतिविधियों में करते हैं। ऐसे में स्वदेशी राखियों का इस्तेमाल करना हमारे देश के लिए हमारा योगदान होगा।

साथ ही राखियों में उपयोग होने वाले मोती और सितारे को डिकंपोज होने में काफी समय लगता है और मोती तो मिट्टी को बंजर बना देते हैं, बीजों से बनी राखियां पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद रहती है। इसके अलावा संस्था द्वारा कपड़ों से थैली बनाना, सीड बोल बनाना जैसे कई कामों को वर्कशॉप लगाकर नि:शुल्क सिखाया जाता है।

Leave a reply