सात दिन में भी जवाब नहीं दिया, अधिकारी मौन
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की पिछले महिने एमबीए फस्र्ट सेमेस्टर के घोषित हुए परिणाम में कंपनी की गलती के कारण परिक्षेत्र के सैंकड़ो छात्रों को परेशान होना पड़ा था। हालांकि जिम्मेदारों को जब जानकारी लगी थी तो परिणाम वेबसाइट से हटाकर बाद में सुधारा गया था। इस मामले में कुलसचिव ने परिणाम बनाने वाली फर्म को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा था। हालांकि विश्व विद्यालय प्रशासन को अब तक जवाब नहीं मिला है।
विक्रम विश्वविद्यालय ने 7 जुलाई को एमबीए प्लेन फर्स्ट सेमेेस्टर के परिणाम इंटरनेट पर जारी किए थे। घोषित परिणाम में परिक्षेत्र के कॉलेजों के अधिकांश विद्यार्थियों को एटीकेटी दी थी। विद्यार्थी जब एटीकेटी के लिए आवेदन करने पहुंचे तो कॉलेज से पता चला कि विद्यार्थी तो फेल है। विश्वविद्यालय का इंटरनेट पर घोषित परिणाम बिगड़ा है। गलत परिणाम जारी होने की शिकायत रतलाम कॉलेज के विद्यार्थियों से भी मिली थी। मामले से अवगत कराने के बाद कुलसचिव डॉ. प्रज्ज्वल खरे ने देर शाम को इंटरनेट पर परिणाम सुधरवाया गया था। वहीं प्रारंभिक जानकारी में सामने आया था कि गलत परिणाम इंटरनेट पर विश्वविद्यालय का परिणाम तैयार करने वाली कंपनी ओसवाल ने जारी किया था। जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने संबंधित कंपनी को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा था। इधर 15 दिन बाद भी जब अधिकारियों से जवाब के संबंध में जानकारी ली तो कोई भी अधिकारी कुछ बताने को तैयार नही है। प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि कंपनी को नोटिस देने व जवाब आने की जानकारी परीक्षा कंट्रोलर देगें। जब सवाल परीक्षा कंट्रोलर एमएल जैन से किए तो उन्होने कहा कि गलती सब से होती है। ऐसी कोई बड़ी बात नही है। नोटिस का जवाब भी आ जाएगा। इधर कार्य परिषद सदस्य सचिन दवे ने कहा कि विद्यार्थियों को परिणाम के कारण परेशानी हुई है तो कोई भी हो विश्वविद्यालय के अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के कारण है, उन्हे ही परेशानी होगी तो चुप नही रहेगें।
इस मामले में ईसी में भी उठाएंगे। हालांकि मामले के संबंध में कुलसचिव खरे ने जवाब संतोषजनक नही होने पर जुर्माना लगाने की बात कही थी। गौरतलब है कि इसके पहले भी कई बड़े स्नातक स्तर और एलएलबी जैसे परिणामों में गड़बड़ी होने के बाद कंपनी ने बाद में सुधार किया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले भी कंपनी की गलती को नजर अंदाज किया है। फर्म और अधिकारियों के संबंध को लेकर भी चर्चाएं है।