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कुत्ते और मवेशियों से भी मुक्त नहीं हो रहा शहर पास का शहर इंदौर सालो पहले मुक्त हुआ


कुत्ते और मवेशियों से भी मुक्त नहीं हो रहा शहर पास का शहर इंदौर सालो पहले मुक्त हुआ 
प्रचार-प्रसार और स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम से सामंजस्य बैठाकर शहर भले ही नंबर एक का तमगा हासिल कर ले लेकिन हकीकत यह है कि निगम से शहर की सड़कें कुत्तों और मवेशियों से मुक्त नहीं हो पा रही है। इसका ताजा उदाहरण एक सीसीटीवी वीडियाे में दिख रहा है। दो सांडों के झगड़े की चपेट में युवक आया और सीर के बल जमीन पर जा गिरा ये तो एक मामला है ऐसे सेकड़ो मामले है इस स्मार्ट शहर उज्जैन के जहां जनप्रतिनिधि और और अधिकारी से ज्यादा बड़े वो लोग है जो सेकड़ो जानवरो को सड़क पर छोड़ कर उन्हें पाल रहे है उनके आगे सब बेबस है क्या अधिकारी क्या नेता सब एक समान है शहर बड़ा हो गया है लेकिन यहाँ की स्थित्ति अभी भी जैसी के वैसी है मवेशी पकड़ने जब निगम की गेंग जाए तो जानवरो के पालक झुण्ड बनाकर उन्हें जानवरो को पकड़ने से रोकते है ऐसा आज से नहीं सालो से है पुलिस भी नाकाम है इन पालको के आगे प्रशासन इन्हे कुछ भी कह नहीं सकता क्यंकि ये पुरे शहर पर भारी है ये वीडियो जो कल आया है ये वीडियाे ढांचा भवन क्षेत्र का है, जहां शहर में सबसे ज्यादा मवेशियों की समस्या है। चार दिन पहले ही पार्षद राखी कड़ैल ने उपायुक्त संजेश गुप्ता को शिकायत की थी कि क्षेत्र में मवेशी बहुत हो रहे हैं। लोगों ने गोशााला बनाकर रख दी है लेकिन फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। हां, घटना जरूर हो गई। कई बार रात में भी लोग तेजगति में सड़को पर बैठे इन जानवरो पर चढ़ जाते है जिसे हादसे होते है 
 25 अगस्त की रात अनुराग तिवारी घर जा रहा था। ढांचा भवन में पीछे से दो सांड झगड़ते हुए निकले। उनकी चपेट में अनुराग आ गया और उछलकर सीर के बल गिर गया। अनुराग ने बताया कि सीर में पांच टांके आए हैं और पैर भी जख्मी है। पार्षद ने बताया दो माह पहले भी मवेशियों ने बुजुर्ग शोभा वानकेडकर को पीछे से चपेट में ले लिया था, जिससे उनकी रीढ़ की हड्‌डी टूट गई। ऐसी घटनाएं शहर में रोज हो रही है लेकिन अफसर सिर्फ दावे करने तक सीमित हैं। आयुक्त ने 4 अगस्त को दावा किया था कि अगर ऐसी कोई दुर्घटना सामने आती है तो अफसर जिम्मेदार होंगे और उनपर प्रकरण दर्ज किया जाएगा लेकिन अभी तक ऐसी घटनाओं के बाद भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई ना तो अफसरों पर और ना ही सड़कों पर।ये हाल पुरे शहर का है जहां सड़को पर जानवर बैठे रहते है कहीं कोई देखना वाला नहीं टोकने वाला नहीं है शहर सिर्फ भगवान भरोसे है प्रशासन अलर्ट तब होता है जब कोई घटना हो उसके बाद फिर मामला ठंडा हो जाता है 

पशुओं को पकड़ने के लिए तीन गैंग आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में काम करती है। मलतब, फिल्ड में सिर्फ एक गैंग रहती है उसमें भी सिर्फ 10 लोग। जबकि अनुमान के मुता बिक 6 हजार मवेशी सड़कों पर हैं या फिर अवैध बाड़ों में। कार्रवाई का पता पशु मालिकों को लग जाता है। पशु गैंग के आसपास ही दबंग लोग पशुओं को बचाने में लग जाते है। पशु गैंग प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाती है। जरूरी है, पुलिस की मौजूदगी और अफसरों की स्पष्ट सोच...पशुओं को सड़कों से हटाना है। पशु गैंग प्रभारी संदीप कुलश्रेष्ठ ने बताया कि हम कार्रवाई करते है। हमारी तीन टीमें काम करती है।

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