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जन समर्थन और जन सैलाब का पर्याय बन रहीं हैं स्‍नेह यात्राएँ


उज्जैन 23 अगस्त। प्रदेश के सभी जिलों में स्‍नेह यात्रा को सात दिन हो चुके है। यात्रा में
निरंतर जनसहभागिता और जनसमर्थन बढ़ता जा रहा है। समाज के सभी वर्ग मुक्‍त कंठ से शासन
की इस पहल का स्‍वागत कर रहें है। पूज्‍य संतों को लोगों ने भाव विभोर होकर यही कहा कि हम
तो जीवन भर आपके स्‍नेह के लिए तरसते रहे आज आपने स्‍वयं पधारकर धन्‍य कर दिया। केवट
के पास गंगा तट पर जैसे प्रभु श्रीराम आये थे उसी तरह संतजन हमारे द्वारे आये हैं। 

स्‍नेह यात्राओं में अंचलों की खुशबू

मध्‍यप्रदेश की भौगोलिक सांस्‍कृतिक प्रतीक के रूप में मालवा, चंबल, नर्मदापुरम, महाकौशल,
बुंदेलखंड और विंध्‍य की अपनी विशिष्ट पहचान है। स्‍नेह यात्राओं में इन क्षेत्रों की सांस्कृतिक झलक
स्‍पष्‍ट दिख रही है। जहां मालवांचल में दाल बाफला आ ही जाता है तो वहीं महाकौशल के
जनजातीय नृत्‍य यात्रा में चार चांद लगा देते हैं। चंबल का आत्‍मीय व्‍यवहार कहीं प्रेरित करता है
तो कहीं बुंदेलखंड की बोली मोह लेती है। यात्रा में नेतृत्‍वकर्ता संत अंचलों की इस विशेषता को
आत्‍मसात कर प्रसन्‍न हो रहे हैं। कुछ शब्‍दों और वाक्‍यों को सीखकर जब समूह में बोलते हैं तो
भीड़ करतल ध्‍वनि से इस आत्‍मीयता को आत्‍मसात करती है। 
 

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