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सोयाबीन फसल के लिये कृषि विभाग के अधिकारियों की किसानों को उचित सलाह


उज्जैन 05 अगस्त। जिले में सोयाबीन की फसल पर कीट एवं रोगों का हल्‍का फूल्‍का असर
देखा जा रहा है। कृषकों को सलाह है कि जहाँ-जहाँ पर जल भराव की स्थिती उत्पन्न हो रही है वहाँ
पर खेत से जल निकास की उचित व्यवस्था किसान करें। साथ ही किसान अपनी फसल की सतत
निगरानी करते रहें एवं किसी भी कीट या रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही निम्नानुसार नियंत्रण के
उपाय अपनायें। इस सम्बन्ध में भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इन्दौर की अनुशंसा के आधार
पर कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को उचित सलाह दी है।
कृषि विभाग के उप संचालक ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पीला मोजेक रोग के
नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित कर तथा इन रोगों

को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्‍सम+लेम्डा
सायलोथ्रिम (125 मिली/हे.) या बीटासायफ्लोथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे.) का छिड़काव करें।
इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। साथ ही यह भी सलाह है कि
सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु किसान भाई अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
लगातार बारिश होने वाले क्षेत्रों में एन्‍थ्राक्रोज नामक फंफूदजनीक रोग के लक्षण दिखाई देने
पर किसान भाईयों को सलाह है कि इसके नियंत्रण हेतु टेबूकोनाजोल 25.9 ईसी (625 मिली/हे.) या
टेबूकोनाझोल 10 प्रतिशत+सल्फर 65प्रतिशत डब्ल्यूजी (1250 ग्राम/हे) जैसे अनुशंसित फफूंदनाशकों
का अपने फसल पर छिडकाव करें!
चक्र भृंग (गर्डल बीटल) के नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था से ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एससी
(250-300 मिली/हे) या थायोक्लोप्रिड 21.7 एससी (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी (1ली/हे)
या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/हे) का छिडकाव करें। किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि
इसके फैलाव को रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।
चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक
क्लोरएन्ट्रानिलप्रोल 9.30 प्रतिशत+लैम्डा सायहेलीथिन 4.60 प्रतिशत ZC (200 मिली/हे) या
बीटासायफ्लुथिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्‍सम+लैम्बडा सायहेलोथ्रिन
125 मिली/हे का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।

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