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मां का दूध है अमृत समान-शक्ति एवं बुद्धी देने वाला मनाया जायेगा विश्व स्तनपान सप्ताह


उज्जैन 31 जुलाई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.दीपक पिप्पल ने बताया कि
प्रतिवर्ष एक अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। विश्व स्तनपान
सप्ताह के दौरान समस्त संस्थागत प्रसव केन्द्रों में जन्म के एक घंटे के भीतर शीघ्र स्तनपान
सुनिश्चित किये जाने हेतु संवेदीकरण गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यह साक्ष्य आधारित है कि
शिशु बाल आहारपूर्ति व्यवहारों यथा- जन्म के एक घण्टे के भीतर शीघ्र स्तनपान, छह माह तक केवल
स्तनपान, छह माह उपरांत स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार एवं कम से कम दो वर्ष की उम्र तक
स्तनपान जारी रखने से शिशु मृत्यु दर में 22 प्रतिशत तक कमी संभव है। यह शिशु स्वास्थ्य संबंधी
एक ऐसी गतिविधि है, जिसमें सामुदायिक जागरूकता से ही समुदाय में व्यवहार परिवर्तन संभव है।
विश्व स्तनपान सप्ताह के अन्तर्गत सामुदायिक जागरूकता एवं सामुदायिक भागीदारी को
बढ़ावा देने के लिये यह बताना आवश्यक है कि मां का प्रथम दूध अमृत के समान है, हमें आज यह
शपथ लेना है कि हम स्वयं अपने परिवार में कोई भी प्रसव होने पर एक घंटे के भीतर बच्चे को
स्तनपान अवश्य करवाऐंगे। साथ ही अपने परिचित एवं संबंधियों को इस संदेश को पहुंचायेंगे। प्रथम
छह माह तक केवल मॉ का दूध ही बच्चे के लिये पर्याप्त है, उसे कुछ ऊपर से नहीं देना है। जैसे-
शहद, घुट्टी, चाय आदि। छह माह बाद चूंकि बच्चे को शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिये
अधिक पोषण आहार की आवश्यकता होती है, इसलिये उसे मां के दूध के साथ-साथ अतिरिक्त पोषण
आहार भी देना है। लगभग दो वर्ष बच्चे को मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिये। मां का दूध बच्चे के

लिये अमृत के समान होता है। यह बच्चे को एजर्ली, दमा, दस्तरोग सहित अनेक बीमारियों से बचाता
है। मां के दूध के अन्दर उपलब्ध तत्वों द्वारा बीमारियों से बच्चे की रक्षा भी होती है।

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