पीएचडी कांड में विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए वर्ष 2022 में हुई इंजीनियरिंग विषय की सभी पीएचडी प्रवेश परीक्षा को निरस्त कर दिया है।
मार्च 2022 में विश्वविद्यालय में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा हुई थी। इसमें पहली बार इंजीनियरिंग विषय में 45 सीटों पर भी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा करवाई गई थी। इसमें इंजीनियरिंग विषय की प्रवेश परीक्षा में कई अभ्यर्थियों की आंसरशीट में कांट-छांट कर नंबर बढ़ाते हुए फेल हुए अभ्यर्थियों को पास कर दिया गया था। जुलाई 2022 में भास्कर ने ही इस पूरे मामले का खुलासा किया था। इसके बाद जांच कमेटी ने इंजीनियरिंग विषय की प्रवेश परीक्षा में 12 अभ्यर्थियों की आंसरशीट में कांट-छांट पाई थी। बाद में यह कमेटी भी सदस्यों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद भंग हो गई। तथ्य सामने आने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके बाद मप्र युवक कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश सचिव बबलू खिंची की ओर से लोकायुक्त को शिकायत की गई।
करीब डेढ़ माह पहले ही लोकायुक्त ने तत्कालीन प्रभारी कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक, आरएसी के सदस्य प्रो. पीके वर्मा, डॉ. गणपत अहिरवार और डॉ. वायएस ठाकुर सहित तीन अभ्यर्थियों के खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज किया। इसके बाद डॉ. पुराणिक को भी प्रभारी कुलसचिव का पद छोड़ना पड़ा था। इधर, जून में हुई कार्यपरिषद की बैठक में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में हुई गड़बड़ी का मुद्दा रखा गया।