लोकायुक्त कांस्टेबल ने साथियों को फंसाने हॉस्टल के रूम में रखा था विस्फोटक, पांच साल की सजा
नानाखेड़ा क्षेत्र में स्थित शिलालेख हॉस्टल में 2016 में विस्फोटक रख साथियों को फंसाने की साजिश रचने वाले लोकायुक्त के कांस्टेबल आशीष सिंह चंदेल व उसके सहयोगी सुशील मिश्रा को कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई। सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश शशिकांत वर्मा ने आरोपियों को सश्रम कारावास से दंडित किया है।
कांस्टेबल आशीष को लगता था कि उसका ट्रांसफर विभाग में पदस्थ चार कर्मचारियों ने कराया है, जिनमें एक अन्य समुदाय का भी था। कांस्टेबल ने उन्हें फंसाने की लिए छह महीने तक साजिश रची। फर्जी सीम खरीदी व कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले सहयोगी से विस्फोटक व डेटोनेटर जुटाया। इसके बाद फर्जी आईडी से उसे हॉस्टल के रूम में रख ये कहते हुए निकल गया था कि अभी आकर इंट्री कराता हूं। फिर खुद ने ही एटीएस व पुलिस को फर्जी सीम व मोबाइल नंबर से फोनकर सूचना दी कि हॉस्टल में विस्फोटक रखा है।
जिस नंबर का उपयोग उसने किया उससे कई बार लोकायुक्त संगठन के पुलिसकर्मियों से भी बात की थी ताकि काल डिटेल चेक होने पर पर उन्हीं पर संदेह हो तथा वे ही फंसे। तत्कालीन नानाखेड़ा प्रभारी विवेक गुप्ता ने बताया तत्कालीन एसपी एमएस वर्मा समेत अन्य अधिकारियों ने टीम के साथ कई तकनीकी बिंदुओं पर काम किया व चंद घंटे में नतीजे पर पहुंच मामले का खुलासा किया था। उप संचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास ने बताया कमरे से विस्फोटक तथा मोबाइल मय सीम व चार्जर के मिला था। कई अहम साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपियों को दोषी माना। पैरवी एजीपी संजय शिंदे ने की जिसमें एडीपीओ नीतेश कृष्णन का सहयोग रहा।