नीति आयोग के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार पाँच वर्षों में प्रदेश में गरीबी हटी म.प्र. देश के टॉप थ्री गरीबी में कमी वाले राज्यों में शामिल उन्नति की ओर अग्रसर मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी रेखा से मुक्त हुए मध्यप्रदेश को मिला निरंतर और प्रतिबद्ध प्रयासों का सुखद परिणाम
उज्जैन 19 जुलाई। नीति आयोग के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक एक प्रगति
सम्बन्धी समीक्षा 2023 के अनुसार विगत पाँच वर्षों यानि वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 की अवधि
के दौरान देश में रिकार्ड 13.50 करोड़ लोग और मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से मुक्त
हुए हैं। नीति आयोग द्वारा 17 जुलाई को जारी की गई यह सूचना देश के साथ आगे बढ़ते
मध्यप्रदेश की प्रगति का एक जीवंत प्रमाण है। नीति आयोग के माध्यम से देश और प्रदेशवासियों को
मिली जानकारियाँ निश्चित ही एक नई ऊर्जा का संचार करने वाली खबर है।
नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एनएफएचएस (2019-21) के हालिया आंकड़े
देश के साथ कदम बढ़ाते और तेजी से विकसित होते मध्यप्रदेश की इस विकास यात्रा का वर्तमान
परिदृश्य और इसकी गति को स्पष्ट दर्शा रहे हैं। विगत कई वर्षों से लगातार किये जा रहे प्रयासों का
फल है कि जन-सामान्य का जीवन स्तर ऊँचा उठा है। इस सर्वेक्षण को भारत सरकार द्वारा जारी
किए गए एमपीआई, मल्टीडायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स, की बेसलाइन रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया
गया है जो वैश्विक स्तर पर अपनाई जाने वाली एक कार्य पद्धति है।
राष्ट्रीय एमपीआई द्वारा जीवन स्तर निर्धारण के लिए 12 प्रमुख संकेतक मापदंडों को आधार
बनाकर सर्वेक्षण किया जाता है। ये संकेतक हैं - पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य,
स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति
और बैंक खाते जैसे बुनियादी पहल जिनका अध्ययन कर सामान्य जनमानस को प्राप्त-अप्राप्त
सुविधाओं के आधार पर इस सर्वेक्षण में जीवन स्तर और गरीबी को मापा जाता है। ताजा सर्वेक्षण में
इन सभी पहलुओं में उल्लेखनीय सुधार देखे गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में बहुआयामी गरीबों की
संख्या, जो वर्ष 2015-16 के सर्वेक्षण के समय 24.85 प्रतिशत थी, वह वर्ष 2019-2021 में घटकर
14.96 प्रतिशत रह गई है। इस तरह 9.89 प्रतिशत अंकों की सकारात्मक गिरावट देखी गई। देश में
शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत रह गई और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी
32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत रह गई।