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खुशियों की दास्तां-27 कुपोषण का पूर्ण प्रबंधन से अब सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी रही है गौरी


उज्जैन 19 जुलाई। खाचरौद तहसील के ग्राम चापाखेड़ा श्री लक्ष्मण चन्द्रवंशी व श्रीमती रानी
चन्द्रवंशी की बेटी गौरी (उम्र 21 माह) जन्म से ही अत्यंत कमजोर थी। वह अक्सर बीमार रहती थी,
जिस कारण गौरी के माता-पिता परेशान रहते थे। इसी दौरान क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा जब गृह भेंट के दौरान जब गौरी के बारे में जानकारी चाही तो गौरी के
माता द्वारा बताया कि यह 21 माह की हो चुकी है, परन्तु इसका वजन नहीं बढ़ रहा है। यह अक्सर
बीमार रहती है। क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा गौरी के माता को समझाया
कि आप गौरी को लेकर सिविल अस्पताल खाचरौद में संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र जायें। वहां पर
गौरी का पूर्ण उपचार निःशुल्क किया जायेगा और गौरी दूसरे बच्चों की तरह ही स्वस्थ हो जायेगी।
स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बातो से प्रेरित होकर गौरी के माता-पिता गौरी को
लेकर सिविल अस्पताल खाचरौद पहुंचे जहां पर डॉ.मेत्रीय मिश्रा द्वारा गौरी की जांच कर बताया कि
गौरी को अस्पताल में भर्ती कर उपचार की आवश्यकता है। यह बेहद कमजोर भी है। उसका वजन
मात्र 4 किलो 715 ग्राम है, जो इसकी उम्र की तुलना में सामान्य नहीं है, जो कुपोषण के लक्षण हैं।

इसी कारण से यह अक्सर बीमार रहती है। यदि गौरी के कुपोषण का पूरा उपचार एवं पूर्ण प्रबंधन
भर्ती रखकर किया जाता है तो गौरी को कुपोषण से दूर किया जा सकता है। गौरी के माता-पिता गौरी
को अस्पताल में भर्ती करने हेतु सहमत हो गये। 
चिकित्सक डॉ.मेत्रीय मिश्रा द्वारा गौरी को पोषण पुनर्वास केन्द्र खाचरौद में भर्ती किया गया,
जहां पर गौरी की आवश्यक जांच करवाई एवं उपचार प्रारंभ किया। पोषण पुनर्वास केन्द्र मे गौरी को
दो सप्ताह भर्ती रख आवश्यक उपचार एवं पोष्टिक आहार प्रदान किया गया एवं कुपोषण का पूर्ण
प्रबंधन किया चिकित्सक डॉ.मेत्रीय मिश्रा व पोषण प्रशिक्षक ज्योति वर्मा एवं पोषण पुनर्वास केन्द्र में
कार्यरत स्टाफ द्वारा पूर्ण निगरानी की एवं उचित देखभाल की, जिसके फलस्वरूप गौरी कुपोषण से
मुक्त हो सकी 19 दिन तक उचित उपचार एवं निरन्तर पोषण आहार प्रदान मिलने एवं कुपोषण के
पूर्ण प्रबंधन के कारण गौरी का वजन बड़कर 5 किलो 400 ग्राम हो गया। स्वस्थ्य होने के पश्चात
गौरी को डिस्चार्ज कर दिया गया। पोषण पुनर्वास केन्द्र से डिस्चार्ज होने के बाद गौरी की माता को
गौरी को निरन्तर पोषण आहार बनाकर खिलाने का प्रशिक्षण दिया गया डिस्चार्ज के बाद घर पर
पोषण आहार प्रदान किया जा रहा है। घर पर ही पोषण आहार मिलने से उसका वजन और भी बढ़
गया है अब गौरी सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी रही है गौरी के माता-पिता भी अब खुश है कि
उनकी पुत्री कुपोषण जैसी गंभीर बीमारी से लड़कर उसे दूर कर सकी। पोषण पुनर्वास केन्द्र मे भर्ती के
दौरान गौरी को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवायें एवं पूर्ण उपचार उपलब्ध करवाया गया।

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