सोमवती अमावस्या पर भक्त स्वर्णगिरी पर्वत की परिक्रमा करते हैं, मिलता हैं पुण्य लाभ
उज्जैन- लोगों का मानना हैं कि गुरुमाता की आज्ञा से भगवान श्रीकृष्ण सुदामाजी को साथ लेकर इसी पर्वत पर लकड़ियां इकट्ठी करने के लिए आए थे। और यहां पर माता पार्वती ने सप्तऋषियों को प्रसन्न करने के लिए तपस्या भी की थी। लोगों को मानना हैं कि सावन महिने की सोमवती अमावस्या पर भक्त स्वर्णगिरी पर्वत की परिक्रमा करते हैं। लोगों का यह भी मानना हैं कि स्वर्णगिरी की परिक्रमा करने से मथुरा गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा करने का पुण्य लाभ अर्जित होता हैं। यह परिक्रमा लगभग साढ़े पांच कोस की होती हैं। भक्त दामोदर कुंड से जल लेकर यात्रा आरंभ होगी। स्वर्णगिरी पर्वत की यात्रा साढ़े पांच कोस की बताई जाती है। भक्त यात्री दामोदर कुंड से जलभरकर उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान करेंगे। महूखेड़ा, तुलसापुर, बागला गांव होते हुए यात्री पार्वती धाम पहुंचेंगे। यहां दामोदर कुंड के जल से माता पार्वती का अभिषेक कर पूजन-अर्चन किया जायेंगा। यात्री यहां पूजन-अर्चन के पश्चात् विश्राम कर यहां भोजन करेंगे।