डॉ. कुँवर बैचेन एवं डॉ. शिवओम अम्बर को राष्ट्रीय कवि प्रदीप सम्मान
संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित राष्ट्रीय कवि प्रदीप सम्मान-वर्ष 2019 विख्यात कवि डॉ. कुँवर बैचेन (गाजियाबाद) एवं वर्ष 2020 डॉ. शिवओम अम्बर (फर्रुखाबाद) को प्रदान किया जायेगा। अलंकरण समारोह 25 जनवरी 2021 को शाम 6:30 बजे रवीन्द्र भवन सभागार में शुरू होगा। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस समारोह में अलंकरण के साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन भी होगा। कवि सम्मेलन में डॉ. सीता सागर (कुरुक्षेत्र), सर्वेश अस्थाना (लखनऊ), हेमंत श्रीमाल (उज्जैन), संजय खत्री (बेटमा) एवं प्रवीण अत्रे (खरगौन) सहभागी होंगे।
राज्य शासन द्वारा यह सम्मान वर्ष 2012 में मंच की कविता के क्षेत्र में सुप्रतिष्ठित कवि और मध्यप्रदेश के बड़नगर में जन्मे महान कवि प्रदीप के नाम पर स्थापित किया गया है। अब तक इस सम्मान से स्व. श्री गोपालदास नीरज, स्व. श्री बालकवि बैरागी, श्री सोम ठाकुर, सुश्री माया गोविंद, श्री सुरेन्द्र शर्मा, श्री हरिओम पंवार एवं श्री अशोक चक्रधर को सम्मानित किया जा चुका है। सम्मान में दो लाख रुपये की आयकर मुक्त राशि एवं प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है।
वर्ष 2019 के लिए इस सम्मान से सम्मानित होने वाले कवि डॉ. कुँवर बैचेन का जन्म 1 जुलाई 1942 में हुआ था। हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. उपाधि प्राप्त डॉ. बैचेन का वास्तविक नाम कुँवर बहादुर सक्सेना है। वे 2002 में प्राध्यापक के रूप में सुदीर्घ सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं। डॉ. कुँवर बैचेन ने लगभग 40 वर्षों से भी अधिक समय तक मंचीय सेवा में निरन्तर सक्रियता एवं उत्कृष्ट रचनाधर्मिता के साथ नए प्रतिमान स्थापित किये हैं। देश-विदेश में अब तक आपको 100 से अधिक मान-सम्मान एवं पुरस्कार मिले हैं। वे कवि सम्मेलन के इतिहास लेखन कार्य में भी सक्रिय हैं।
वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय कवि प्रदीप सम्मान से सम्मानित होने वाले कवि डॉ. शिवओम अम्बर का जन्म 23 सितम्बर 1952 को फर्रुखाबाद, उत्तरप्रदेश में हुआ था। स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. उपाधि प्राप्त कवि अम्बर की गीत एवं गज़ल संग्रह की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इन्होंने देश-दुनिया के अनेक प्रतिष्ठित कवि सम्मेलनों में कवितापाठ करते हुए उत्कृष्टता के मानदण्ड को अक्षुण्ण रखा है। डॉ. शिवओम अम्बर कवि सम्मेलनों के संचालक के रूप में प्रथम श्रेणी के रचनाधर्मी माने जाते हैं, जो उच्चकोटि की साहित्यिकता, मर्यादा एवं शिष्टाचार को अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति का प्रमुख आयाम मानते हैं।
नीरज शर्मा