अधिक मास में पौधे लगाने से मिलाता है अश्वमेघ यज्ञ का फल
अधिकमास (पुरुषोत्तम मास) के दौरान पूजा व्रत करने से जो फल मिलता है। उससे हजारों गुना अधिक फल पौधारोपण करने से मिलता है। जो लोग अधिक मास में व्रत, पूजा आदि नहीं कर पाए हैं वे पौधारोपण कर पुण्यलाभ कमा सकते हैं। अधिक मास को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ही बनाया गया हैं।
ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार सनातन हिंदू ग्रंथों में पौधारोपण एवं वृक्ष, पहाड़, नदियों के संरक्षण को सबसे अधिक पुण्यशाली बताया गया है। जो व्यक्ति नदी, पहाड़, वृक्षों की रक्षा करता है उसे मृत्यु पश्चात स्वर्ग अथवा बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है।
पौधारोपण करने से जहां पुण्यलाभ मिलता है। वहीं कई प्रकार के ग्रह व नक्षत्रों के दोष भी जातकों की कुंडली से खत्म हो जाते हैं। साथ ही उनका भाग्य भी उदय हो जाता है। विष्णु पुराण में बताया गया है कि अधिक मास में पौधारोपण करने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। ऐसा ही उल्लेख मनुस्मृति में बताया गया है। पेड़ की रक्षा व पौधारोपण करने से बड़े से बड़े यज्ञ का फल जातक को प्राप्त होता है।
नक्षत्रों के हिसाब से करें पौधारोपण
अधिक मास में ग्रह नक्षत्रों के हिसाब से पौधारोपण करना लाभदायक होता है, लेकिन अगर किसी को ग्रह नक्षत्रों के हिसाब से पौधारोपण की जानकारी नहीं है तो वह पीपल, बट, गूगल, नीम आदि के पौधे लगा सकते हैं।
सूर्य के लिए सफेद मदार
चंद्रमा के लिए पलाश
मंगल के लिए खैर
बुध के लिए अपामार्ग (चिचिड़ा)
बृहस्पति के लिए पीपल
शुक्र के लिए गूलर
शनि के लिए शमी
राहु के लिए चंदन व दूर्वा
केतु के लिए असगंध