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भगवान विष्‍णु को अत्‍यधिक प्रिय है अधिक मास, तीन साल में आता है एक बार


तीन साल में एक बार आने वाला भगवान विष्णु का प्रिय अधिकमास इस बार 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा। इस अवसर पर कहीं 108 नामों और तुलसी दल से भगवान की अर्चना होगी तो कहीं भागवत पारायण होगा। नाम संकीर्तन सहित विभिन्न स्तोत्रों का पाठ भी 29 दिन चलेगा। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते अनुष्ठान भक्तों की प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना होंगे। धार्मिक अनुष्ठान का लाभ भक्त घर बैठे ऑनलाइन ही ले सकेंगे। श्राद्घ पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा, जिसे पुरुषोत्तम मास अथवा मलमास भी कहा जाता है।

निपानिया स्थित इस्कॉन मंदिर के प्रमुख स्वामी महामनदास कहते हैं कि इस मौके पर भक्तों को हरिनाम की महिमा नाम संकीर्तन के माध्यम से बताई जाएगी। दुनियाभर के इस्कॉन मंदिर में भागवत कथा होगी। इनका ऑनलाइन प्रसारण होगा।

लक्ष्मी-वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग के स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज का कहना है कि अधिकमास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक हवन-पूजन होगा। भगवान विष्णु की तुलसी दल और 108 नामों से आराधना होगी। पुजारी और वेणुगोपाल संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थी श्रीसूक्त सहित विभिन्न स्तोत्रों का पाठ करेंगे।

पितृ शांति एवं पितृ कृपा प्राप्ति के उद्देश्य से भागवत का मूल पाठ
प्राचीन हंसदास मठ में भागवत के मूल पाठ का पारायण एवं अखंड रामायण पाठ हंस पीठाधीश्वर महंत रामचरणदास महाराज के सान्निध्य में होगा। पं. पवन शर्मा ने बताया कि अधिकमास के अवसर पर पितृ शांति एवं पितृ कृपा प्राप्ति के उद्देश्य से प्रतिदिन सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक एवं दोपहर बाद 3 से शाम 6 बजे तक यह आयोजन होगा।

पद्मावती वेंकटेश देवस्थान ट्रस्ट विद्या पैलेस कॉलोनी के प्रचार प्रमुख नितिन तापड़िया का कहना है कि पुजारी भगवान की महीनेभर तुलसी दल से अर्चना करेंगे। प्रशासन की तय गाइडलाइन के अनुसार भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा।

सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए अधिकमास
ज्योतिर्विद देवेंद्र कुशवाह बताते हैं कि हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है। सूर्य वर्ष 365 और चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है। इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है। यही अंतर हर तीन वर्ष में अधिक मास का रूप लेता है।

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