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सावन के जाने से पहले भोले को कर लें प्रसन्‍न


भगवान शिव (Lord Shiva) की साधना सबसे सरल और शीघ्र फलदायी है. महादेव महज जल और पत्ती से ही प्रसन्न हो जाने वाले देवता है. उनकी साधना में साधक को किसी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है. भगवान शिव का उपासक जीवन में कभी भी निराश नहीं हो सकता है क्योंकि भगवान शंकर तो औढरदानी हैं. वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. तो आइए जानते हैं भगवान शिव की साधना के कुछ अनुभूत प्रयोग जिनको करने से जीवन में कैसा भी कष्ट हो दूर हो जाता है.
 
1. सौभाग्य एवं पारिवारिक सुख के लिए
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में सुख-शांति रहे. उसके परिजन निरोगी रहें. उनके बीच विचारों में टकराहट न हो. घर धन-धान्य से भरा रहे. ऐसी मनोकामना की पूर्ति के लिए श्रावण मास में साधक को चाहिए कि वह शिव ऐश्वर्य लक्ष्मी यंत्र स्थापित करके नीचे दिए गए मंत्र का 101 बार पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ जाप करें. यदि नीचे दिए गए मंत्र का जाप पूरा परिवार एक साथ बैठकर करता है तो विशेष फलदायी होता है. मंत्र जप प्रारंभ करने से पहले इस श्लोक के माध्यम से भगवान शिव का ध्यान करें—
 
सर्वलौकैक - शरणं मृत्युरोगादिनाशकम्।
अभयप्रदमीशानं देवं मृत्युंजय भजे।।
 
अर्थ— 
सभी लोकों के रक्षक, मृत्यु रोग आदि का विनाश करने वाले, सबको अभय प्रदान करने वाले ईशान नाम युक्त भगवान शंकर का मैं ध्यान करता हूं.
 
मंत्र —
।। ॐ साम्ब सदाशिवाय नम:।।
 
मंत्र जप के बाद दूसरे दिन यंत्र को किसी नदी अथवा शिवालय में दक्षिणा के साथ विसर्जित कर दें. महादेव के इस मंत्र में अपार शक्ति है. इसका जाप करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. महादेव के इस महामंत्र का अचूक असर होता है. सच्चे मन से इस मंत्र का जप करने वाले साधक से प्रसन्न होकर भगवान शिव उसकी सारी चिंताएं तुरंत दूर कर देते हैं. परिवार में सुख, शांति और सौभाग्य का वास बना रहता है.

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2. कोर्ट- कचहरी में विजय के लिए
यदि आप किसी मामले में कोर्ट-कचहरी में जीत की कामना से भगवान शिव की आराधना कर रहे हैं तो आपको नीचे दिए गए मंत्र को 36 बार जपना है. मंत्र जप से पूर्व साधक को एक पाश रख कर इस श्लोक को पढ़ते हुए भगवान शिव का ध्यान करें—
 
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेनद्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम्।
जटाजूटमध्ये सफुरद्गांगवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरामि।।
 
अर्थ— 
सभी प्राणियों के स्वामी, पापों को नाश करने वाले परम ब्रह्मस्वरूप हस्तिचर्म धारण किए हुए, सभी जीवों में श्रेष्ठ, अपनी जटाओं के बीच गंगा को धारण किए हुए भगवान महादेव को बारंबार स्मरण करता हूं.
 
मंत्र —
।। ॐ क्रीं नम: शिवाय क्रीं ॐ।।
 
मंत्र जप के अगले दिन पाश को घर से दूर दक्षिण दिशा में फेंकने से शीघ्र ही व्यक्ति को कोर्ट-कचहरी आदि के मामले में विजय मिलती है.

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