वसंत पंचमी : मॉं सरस्वती के मंत्र जाप से मिलेगी सिद्धी
वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती का प्रगटोत्सव हुआ था। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की आराधना का विशेष महत्व है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से देवी सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और शिक्षा संबंधी कार्यों में सफलता मिलती है। वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के मंदिर या घर पर शास्त्रोक्त विधि से देवी पूजन करने से सभी मनोकामनाओं की भी पूर्ति होती है।
ऐसे करें सरस्वती पूजन
देवी सरस्वती को मां शारदा भी कहा जाता है। वसंत पंचमी के अवसर पर इनकी उपासना करने से विद्या और वाणी का वरदान प्राप्त होता है। देवी की आराधना के क्रम में सबसे पहले आचमन करें उसके बाद शुद्धिकरण कर सरस्वती पूजन का संकल्प लें। मंत्र 'यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्याः सरस्वत्याः पूजनमहं करिष्ये' बोलकर संकल्प का जल जमीन पर छोड़ दें। अब पूजा का कलश स्थापित करें और और देवी भगवती का आह्वान करते हुए वैदिक या पौराणिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजन सामग्रियों को देवी को समर्पित करें। 'श्री ह्यीं सरस्वत्यै स्वाहा' मंत्र को बोलते हुए देवी सरस्वती को सभी सामग्री समर्पित करें। पूजन के समापन पर देवी सरस्वती की आरती करें। इस पूजन में कलम और पुस्तक का भी पूजन करना चाहिए।
देवी के इन मंत्रों का करें जप
देवी भागवत और ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार श्रीमन्नरायण भगवान ने वाल्मीकि को सरस्वती का मंत्र बतलाया था। इस मंत्र से वाल्मीकि को कवित्व की शक्ति प्राप्त हुई थी। महर्षि वाल्मीकि ने 'श्रीं ह्वीं सरस्वत्यै स्वाहा' मंत्र का जप किया था। मान्यता है कि इस मंत्र को चार लाख बार जपने से यह सिद्ध हो जाता है। इसके अलावा ब्रह्मवैवर्तपुराण में 'ओम ऐं ह्वीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा' मंत्र के भी जप का विधान बतलाया गया है। इसके साथ ही 'अं वाग्वादिनि वद वद स्वाहा' मंत्र के जप से भी सिद्धी मिलती है।