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संकष्टी चतुर्थी : ऐसे करे भगवान श्री गणेश की पूजा


हिंदू पंचाग के अनुसार प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि होती है. पूर्णिमा के बाद यानि कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहते हैं. मान्यता है कि संकष्टि चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसके सभी कष्ट भी दूर होते हैं. संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना का विशेष दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को भी विशेष वरदान की प्राप्ति होती है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 15 नवंबर, मतलब शुक्रवार को है. तो आइए जानते हैं, संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में.

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश का वंदन 
संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने वाले इस दिन सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं. इसके बाद  विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें, जिसमें गणपति के ऊपर धूप-दीप, पुष्प, दुर्वा और यथा संभव मेवा अर्पित करें और उन्हें मोदक का भोग भी लगाएं.

इस मंत्र का जाप करने से मिलेगा लाभ
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्.
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्.

पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी पर दिनभर फलाहार करते हुए व्रत के नियमों का निष्ठा से पालन करें. शाम की पूजा के दौरान प्रसाद के तौर पर फूल, जल, चंदन, दीप-धूप, केला और मौसमी फल, तिल और गुड़ के लड्डू, नारियल आदि को रखें. पूजा के दौरान दुर्गा माता की मूर्ति भी रखें क्योंकि गणपति पूजा के दौरान माता की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है. गणेशजी की आरती के बाद भगवान शिव की आरती करनी चाहिए. पूजा के वक्त सबसे पहले गणेशजी को चंदन का टीका लगाएं. इसके बाद  धूप-दीप से आरती करनी चाहिए और फिर लड्डुओं का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करना चाहिए. 

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