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जन्म के बाद जरा भी हिलडुल नहीं पाता था 3 वर्षीय मासूम मोहम्मद



जिला चिकित्सालय में आरबीएसके के तहत मिली फिजियोथैरपी से आया काफी सुधार
उज्जैन | शहर के बेगमबाग में रहने वाले तीन वर्षीय बालक मोहम्मद नागौरी की मां रूखसार नागौरी बताती हैं कि जन्म के बाद मोहम्मद जरा भी हिलडुल नहीं पाता था, हमेशा लेटा रहता था। उसे खुद उठने-बैठने में बहुत समस्या होती थी। मोहम्मद की चिकित्सा जांच में पाया गया कि दरअसल वह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से सम्बन्धित बीमारी से ग्रस्त था, जो कि एक जन्मजात विकृति थी। इस बात को लेकर मोहम्मद के माता-पिता और बाकी सब रिश्तेदार काफी परेशान और उदास रहते थे।
    इलाज के लिये मोहम्मद के घरवालों ने कई निजी अस्पतालों के चक्कर लगाये। मोहम्मद का इलाज संभव था, लेकिन निजी अस्पतालों में महंगे इलाज के खर्च को वहन करना उनके बस की बात नहीं थी। फिर उन्हें कहीं से जानकारी मिली कि जिला चिकित्सालय के डीईआईसी (जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र) में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत नि:शुल्क फिजियोथैरपी और मेंटल ट्रेनिंग विशेषज्ञों द्वारा प्रदाय की जाती है। नन्हें बालक मोहम्मद को डीईआईसी की फिजियोथैरेपिस्ट डॉ.आरती भंडोले द्वारा लगातार फिजियोथैरेपी, न्यूरल डेवलपमेंट टिचिंग और स्पिच थैरेपी दी जा रही है, जिसकी बदौलत मोहम्मद अब बिना किसी सहारे के उठकर बैठना, चीजों को पकड़ना और बोलना सीख गया है।
    मोहम्मद और उसके जैसे अन्य बच्चों को यहां प्रतिदिन प्रात: 9.30 बजे से शाम 5 बजे तक फिजियोथैरपी और अन्य थैरेपी पूर्णत: नि:शुल्क दी जाती है। मोहम्मद की मां रूखसार बताती हैं कि जन्म के समय भी मोहम्मद सामान्य बच्चों की तरह रोया भी नहीं था। मोहम्मद के माता-पिता ने यह उम्मीद छोड़ दी थी कि वह कभी उसे बोलते हुए सुन सकेंगे, लेकिन अब मोहम्मद को हंसता-खेलता देखकर उसकी मां की आंखों में खुशी के आंसू छलक आते हैं। रूखसार जिला चिकित्सालय की डीईआईसी टीम को इसके लिये विशेषतौर पर धन्यवाद देती है।

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