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हर माह आने वाली एकादशी का होता है अलग महत्व


पौराणिक शास्त्रों में एकादशी तिथि का बहुत महत्व बताया गया है। इय तिथि को व्रत और उपवास करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि एक महीने में दो बार आती है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की एकादशी को व्रत करने का शास्त्रोक्त महत्व बताया गया है। सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है और इन सभी का महत्व भी अलग-अलग होता है।

एकादशी के प्रकार
शास्त्रों के अनुसार एकादशी दो प्रकार की होती है। संपूर्णा और विद्धा।

संपूर्णा
जिस तिथि में केवल एकादशी तिथि होती है उसमें कोई दूसरी तिथि का मिश्रण नहीं होता है उसको सम्पूर्णा एकादशी कहते है।

विद्धा
जिस एकादशी तिथि में दो तिथियों का मिश्रण होता है उसको विद्धा एकादशी कहते हैं। विद्धा एकादशी दो प्रकार की होती है।

पूर्वविद्धा एकादशी
पहली विद्धा एकादशी को पूर्वविद्धा कहा जाता है। पूर्वविद्धा एकादशी में दशमी तिथि का मिश्रण होता है इसका मतलब है कि यदि एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय के पहले यानी अरुणोदय काल में सूर्योदय के एक घंटा छत्तीस मिनट पहले दशमी तिथि का नाममात्र का भी अंश रह गया हो तो ऐसी एकादशी तिथि पूर्वविद्धा के दोष से युक्त होने के कारण इसका निषेध है। पूर्वविद्धा एकादशी तिथि दैत्यों का बल बढ़ाने वाली और पुण्यों का नाश करने वाली होती है। पद्मपुराण में कहा गया है

वासरं दशमीविधं दैत्यानां पुष्टिवर्धनम।
मदीयं नास्ति सन्देह: सत्यं सत्यं पितामहः।।

दशमी युक्त एकादशी तिथि दैत्यों के बल बढ़ाने वाली है इसमें कोई भी संदेह नही है।

परविद्धा: एकादशी
जब एकादशी तिथि में द्वादशी तिथि का मिश्रण होता है, उसको परविद्धा एकादशी कहते हैं। द्वादशी से युक्त तिथि यानी परविद्धा एकादशी व्रत, उपवास के लिए सर्वदा उपयुक्त है और ग्रहण करने योग्य है। शास्त्रों में कहा गया है कि

द्वादशी मिश्रिता ग्राह्य सर्वत्र।।

परविद्धा: एकादशी के दिन व्रत उपवास रखने से पुण्यफलों में वृद्धि होती है। इसलिए परविद्धा: एकादशी का व्रत रखना चाहिए।

एकादशी के प्रकार
इस तरह एकादशी तिथि को अलग- अलग नामों से जाना जाता है।

वैदिक मास देवता शुक्लपक्ष कृष्णपक्ष

चैत्र (मार्च-अप्रैल) विष्णु कामदा वरूथिनी

वैशाख (अप्रैल-मई) मधुसूदन मोहिनी अपरा

ज्येष्ठ (मई-जून) त्रिविक्रम निर्जला योगिनी

आषाढ़ (जून-जुलाई) वामन देवशयनी कामिका

श्रावण (जुलाई-अगस्त) श्रीधर पुत्रदा अजा

भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) हृशीकेश परिवर्तिनी इंदिरा

आश्विन (सितंबर-अक्टूबर) पद्मनाभ पापांकुशा रमा

कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) दामोदर प्रबोधिनी उत्पन्ना

मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसम्बर) केशव मोक्षदा सफला

पौष (दिसम्बर-जनवरी) नारायण पुत्रदा षटतिला

माघ (जनवरी-फरवरी) माधव जया विजया

फाल्गुन (फरवरी-मार्च) गोविंद आमलकी पापमोचिनी

अधिक मास पुरुषोत्तम पद्मिनी परमा

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