आर्थिक तंगी के कारण कभी सोचा भी नहीं था कि उज्जैन से बाहर जा पायेंगे
आज रामेश्वरम तीर्थ के लिये पत्नी के साथ रवाना हुए रामचन्द्र
उज्जैन | घट्टिया के ग्राम बिछड़ौद खालसा में रहने वाले 73 वर्षीय रामचन्द्र पिता सूरजमल को अक्सर यही चिन्ता लगी रहती थी कि जीवन के अन्तिम पड़ाव पर पहुंचने के बाद वे और उनकी पत्नी कभी उज्जैन के अलावा देश के दूसरे तीर्थों की यात्रा कभी कर भी सकेंगे या नहीं। इसकी मुख्य वजह थी आर्थिक तंगी। रामचन्द्र के जीवन यापन का एकमात्र साधन था खेती। फिर बच्चों की परवरिश, उनकी तालीम और जीवन की आपाधापी में ऐसे उलझे कि भविष्य में अपने आध्यात्मिक जीवन की उन्नति के लिये कुछ बचत ही नहीं कर पाये। बेटा देवास में रहकर नौकरी करता है, लेकिन सीमित आय में उसका स्वयं का खर्च बड़ी मुश्किल से वहन हो पाता है।
ऐसे में वह भी अपने माता-पिता को कैसे तीर्थ यात्रा करवा सकता था। तभी रामचन्द्र को उनके ही गांव के एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद अफजल से मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के बारे में पता लगा। अफजल कुछ समय पहले ही इस योजना के अन्तर्गत अजमेर शरीफ की यात्रा करके आये थे। रामचन्द्र और उनकी पत्नी ने बिना देर किये उज्जैन जिले से रामेश्वरम जाने वाली यात्रा के लिये पंजीयन कराया और खुशकिस्मती से लॉटरी में उन दोनों का नाम आ गया। जब इसकी सूचना उन्हें मिली तो रामचन्द्र और उनकी पत्नी की खुशी का ठीकाना न था।
आज रामेश्वरम तीर्थ यात्रा के लिये निकले रामचन्द्र कहते हैं कि राज्य सरकार की यह योजना निश्चित रूप से उनके जैसे कई वयोवृद्ध श्रद्धालुओं के तीर्थ यात्रा पर जाने के अधूरे सपनों को पूरा कर रही है। इसके अलावा ईश्वर और अपने धर्म के और करीब जाने में भी विशेष भूमिका अदा कर रही है। तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद लोगों के जीवन में बहुत से बदलाव आते हैं, उनका एक नया जन्म होता है और एक बेहतर इंसान के रूप में निखरने में मदद मिलती है। साथ ही वे अपने आप को और बेहतर तरीके से जान पाते हैं। इस दिशा में मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है, जिसके लिये रामचन्द्र मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ और स्थानीय जिला प्रशासन का विशेष आभार व्यक्त करते हैं।