ज्योतिष को बचाये रखना है तो सिध्दांत ज्योतिष को महत्व दें
उज्जैन। ज्योतिष की अस्मिता एवं ज्योतिष को बचाये रखना है तो सिध्दांत ज्योतिष को महत्व दें। ज्योतिष और वास्तु एक सिक्के के दो पहलू हैं अर्थात व्यक्ति पर पड़ने वाला प्रभाव और वास्तु के सिध्दांत दोनों मिला ले तभी मानव का कल्याण होगा।
उक्त बात अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष वास्तु महासम्मेलन के समापन अवसर पर आयोजित सत्र में संबोधित करते हुए ज्योतिर्विद डाॅ. एचएस रावत दिल्ली ने कही। आयोजक दिनेश गुरूजी एवं महासम्मेलन अध्यक्ष आनंद शर्मा भाया ने बताया कि मां शारदा ज्योतिषधाम अनुसंधान संस्थानम् द्वारा आयोजित महासम्मेलन के अंतिम दिन आयोजित सत्र में वास्तु शास्त्र का मानव जीवन पर प्रभाव, अंक शास्त्र, वैवाहिक जीवन व हस्तरेखा विषय पर व्याख्यान हुआ। सम्मेलन को डाॅ. एचएस रावत दिल्ली, डाॅ. अनिल वत्स दिल्ली, अजय भामी दिल्ली, अक्षय शर्मा मोगा, कपिला ओलोगो रसिया, भोलानाथ द्विवेदी जालंधर, पं. मोहनलाल द्विवेदी मय्यर, आरडी विश्वारी माॅरिशस आदि ने संबोधित किया। अनिल वत्स ने कहा व्यक्ति के हाव भाव और चेहरा बता देता है कि वह कैसा है। अक्षय शर्मा ने कहा आजकल दांपत्य जीवन या प्रेम विवाह में ज्योतिष गणना के बाद जो आलोचना आती है उसके लिए सर्वप्रथम ज्योतिष का बहुत अच्छा विश्लेषण होना चाहिये। प्राचीन समय में कुंडली नहीं मिलाते थे लेकिन बुजुर्ग लोग लड़की के हाथों की बनावट, पैरों की बनावट, पैर रखने हाथ रखने के तरीके भाव भंगिमा से बता देते थे कि उसका व्यवहार कैसा है। वह सारे संस्कार मानव जीवन के लिए लाभकारी होते थे। संचालन पं. हीरेन्द्र शुक्ला ने किया। महासम्मेलन संयोजक पं. योगेन्द्र महंत, महासम्मेलन अध्यक्ष संगीता शर्मा ने बताया कि दोपहर में जनता के लिए निःशुल्क मार्गदर्शन, टेरो कार्ड एवं यंत्र, मंत्र का मानव जीवन पर प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई। तथा शाम को समापन समारोह में विद्वानों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर महासम्मेलन संयोजक पं. निर्मल गुरू, पं. दिलरेश व्यास, सम्मेलन प्रभारी पं. गौरव तिवारी राजपुरोहित, महासम्मेलन सहसंयोजक पं. शैलेन्द्र व्यास, डाॅ. जेसी सोनी, महासचिव मितेश मालवीय, मयंक जोशी, श्रीराम शर्मा, मितेश मालवीय आदि मौजूद रहे।