जाता है छठ मईया का व्रत, जलाशय में खड़े होकर की जाती है पूजा
निर्जला किया
छठ का त्योहार सूर्योपासना का पर्व होता है। छठ का पर्व सूर्य की आराधना का पर्व है, प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अघ्र्य देकर दोनों का नमन किया जाता है।
सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है, सुख-स्मृद्धि तथा मनोकामनाओं की पूर्ति का यह त्योहार सभी समान रूप से मनाते हैं।
प्राचीन धार्मिक संदर्भ में यदि इस पर दृष्टि डालें तो पाएंगे कि छठ पूजा का आरंभ महाभारत काल के समय से देखा जा सकता है।
छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है तथा गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या जलाशय के किनारे पानी में खड़े होकर यह पूजा संपन्न कि जाती है।
छठ पूजा तिथि
छठ पूजा चार दिनों का अत्यंत कठिन और महत्वपूर्ण महापर्व होता है। इसका आरंभ कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होता है और समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस लम्बे अंतराल में व्रतधारी पानी भी ग्रहण नहीं करते।
छठ पूजन
इस पूजा का आरंभ कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होता है तथा कार्तिक शुक्ल सप्तमी को इसका समापन होता है। प्रथम दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी 'नहाय-खाए' के रूप में मनाया जाता है।
नहाए-खाए के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना किया जाता है। पंचमी को दिनभर खरना का व्रत रखने वाले व्रती शाम के समय गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन प्रसाद रूप में करते हैं।
व्रत रखने वाले जातक को 36 घंटे का निर्जला व्रत करते हैं व्रत समाप्त होने के बाद ही व्रती अन्न और जल ग्रहण करते हैं।
खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन हो जाता है। इस प्रकार भगवान सूर्य के इस पावन पर्व में शक्ति व ब्रह्मा दोनों की उपासना का फल एक साथ प्राप्त होता है।
षष्ठी के दिन घर के समीप ही की सी नदी या जलाशय के किनारे पर एकत्रित होकर पर अस्ताचलगामी और दूसरे दिन उदीयमान सूर्य को अर्ध्य समर्पित कर पर्व की समाप्ति होती है।
छठ पर्व महत्व
छठ पूजा का आयोजन बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त देश के कोने-कोने में देखा जा सकता है। देश-विदेशों में रहने वाले लोग भी इस पर्व को बहुत धूम धाम से मनाते हैं। मान्यता अनुसार सूर्य देव और छठी मइया भाई-बहन है, छठ व्रत नियम तथा निष्ठा से किया जाता है।
भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत द्वारा नि:संतान को संतान सुख प्राप्त होता है। इसे करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।
छठ के दौरान लोग सूर्य देव की पूजा करतें हैं, इसके लिए जल में खड़े होकर कमर तक पानी में डूबे लोग, दीप प्रज्ज्वलित किए नाना प्रसाद से पूरित सूप उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं और छठी मैया के गीत गाए जाते हैं।