श्वास नली में अटकी सीताफल की गुठली, 6 घंटे मौत से संघर्ष करता रहा 8 महीने का मासूम
बड़ौद से लेकर निकले बच्चे के परिजन 6 घंटे में 5 से अधिक अस्पताल पहुंचे-डाॅ. चौधरी ने कहा ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं, बच्चे की हालत अतिगंभीर थी
उज्जैन। सीताफल की गुठली श्वास नली में अटक जाने से 8 महीने का मासूम बालक करीब 6 घंटे तक मौत से संघर्ष करता रहा। बड़ौद निवासी बालक के परिजन उसे 6 घंटे में 5 से अधिक अस्पतालों में लेकर पहुंचे लेकिन उसकी हालत गंभीर होने के कारण उसे इंदौर रैफर करने को कहा गया। लेकिन उज्जैन में ही डॉ टी एस चौधरी की सूझबुझ और बच्चे की किस्मत ने उसे नया जीवन दिया और बच्चे ने मौत को मात दे दी।
दरअसल आगर की तहसील बड़ौद के ग्राम आसंधिया निवासी जितेंद्र तंवर के 8 महीने के पुत्र ऋषभ तंवर ने 19 अक्टूबर की दोपहर करीब दो से ढाई बजे के बीच सीताफल की गुठली मुंह में ले ली थी जिसका गुदा तो उसने गुटक लिया लेकिन गुठली गले मे फंस गई। बच्चे को बैचेनी हुई तो परिजन उसे सिविल हॉस्पिटल बड़ौद लेकर पहुंचे यहां डाॅक्टरों ने उन्हें आगर ले जाने को कहा, यहां से उज्जैन के चरक अस्पताल पहुंचाया। यहां से इंदौर रैफर करने को कहा तथा यह भी कहा कि बच्चे की हालत खराब है ज्यादा देर नहीं कर सकते, इस डर से परिजन बच्चे को उज्जैन में ही तीन निजी चिकित्सालयों में ले गए लेकिन यहां भी इलाज नहीं हो पाया, इस बीच परिजनों को नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ की जानकारी लगने पर कंट्रोल रूम के समीप स्थित चौधरी ईएनटी हॉस्पिटल पहुंचे। यहां डाॅ. टीएस चौधरी ने बच्चे की जांच की तो पता चला कि बच्चे का आॅक्सीजन सेचुरेशन परसेंटेज मात्र 37 था, ऐसे में बच्चे को बचाया जाना मुश्किल था। डाॅ. चौधरी के मुताबिक आमतौर पर ऑक्सीजन सेचुरेशन परसेंटेज 97 से 100 प्रतिशत रहता है। 80 प्रतिशत में गंभीर श्रेणी में होता है लेकिन बच्चे का 37 प्रतिशत था जिसके कारण बच्चे का बचना असंभव सा लग रहा था। इसलिए बच्चे के परिजनों के सामने स्थिति स्पष्ट की, परिजनों की सहमति के बाद डॉ. दीपिका अग्रवाल ने बच्चे को ऑपरेशन थियेटर में लिया और बेहोश किया। सांस की नली में दूरबीन द्वारा देखा तो पाया सीताफल की गुठली दाहिने तरफ के फेफड़े की श्वास नली में फंसी थी जिसके कारण श्वास लेने में तकलीफ आ रही थी जिसे दूरबीन द्वारा पकड़ कर बाहर निकाला गया। गुठली निकलते ही ऑक्सीजन का प्रतिशत 98 प्रतिशत हो गया और बच्चे को राहत मिली। डाॅ. चौधरी के अनुसार बच्चे को परिजन रात 7.15 बजे लेकर आये और 8 बजे बीज निकाल दिया गया। डाॅ. चौधरी ने कहा कि यह ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं था, बच्चे की किस्मत और परिवार ने धैर्य रखकर डाॅक्टरों की टीम पर भरोसा किया जिसके कारण हम बच्चे की जान बचा सके।