क्या भोलेनाथ से बड़े हैं कमलनाथ?-आचार्य सत्यम्
उज्जैन। गाय-गंगा-गौरी और वसुंधरा के पर्यावरण के संरक्षक रहे मृत्युंजय भोलेनाथ के दो ज्योतिर्लिंगों के प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने शासन के नियंत्रण के मंदिर प्रबंधनों से एक भी आदर्श गौशाला स्थापित नहीं करवा सके। मध्यप्रदेश के आज तक के मुख्यमंत्रियों की शिवभक्ति इसी से प्रमाणित है कि दोनों ज्योतिर्लिंग महालय भक्तों की तथा मंदिरों की सम्पत्ति की लूट के अड्डे बन गए। महाकालेश्वर के लड्डू प्रसाद के मामले में भक्तों की लूट पर आ रही खबरें मंदिर प्रबंधन के अंतर्राष्ट्रीय प्रचार पर कालिख पोत रही हैं और उधर ताऊनाथ धन कुबेरों को गौशालाएं बांट रहे हैं। स्वयं गौ-पालन के लिए दान की अपीलें कर रहे हैं और नंदीवंश के संरक्षक तथा श्रीकृष्ण गोपाल की गुरूकुल नगरी में भी गोवंश नगर निगम की गौशाला में भी सैकड़ों की तादाद में दम तोड़ रहा है। ट्यूटर वीर पूर्व मुख्यमंत्री जिनके सुपुत्र मंत्री के प्रभार के जिले आगर के सलारिया गो अभ्यारण्य में भी गोमाता सुरक्षित नहीं है, वे ताऊनाथजी को महान् बता रहे हैं। हम पिछले 7 वर्षों से मांग कर रहे हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर प्रबंधन की ओर से राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय आव्हान मालव अंचल में सवा लाख गोवंश के संरक्षण तथा संवर्धन के साथ ही शिवप्रिया मालवा की गंगा मोक्षदायिनी शिप्रा के प्राकृतिक श्रृंगार के साथ उसे भारत की आदर्श नदी
बनाने में जन सहयोग के लिए किया जावे। हमारा दावा है कि हजारों धरतीपुत्रों और बेरोजगारों को रोजगार के साथ ही मालवांचल में शुद्ध गोरस की नदियां बहने लगेंगी। यह पावन अनुष्ठान शिव-शिप्रा और गोभक्तों के सहयोग से बिना राशि लिए साधन और सेवा उपलब्ध करवाने के आव्हान के साथ पूरा हो सकता है। मंदिर समिति अथवा शासन को फूटी कौड़ी खर्च किए बिना करोड़ों का राजस्व शिप्रा परिक्रमा पथ के निर्माण के साथ प्राप्त हो सकता है। लेकिन अडानी, अम्बानी और कुमार मंगलम् को अपना व भारत का भाग्य विधाता मानने वाले स्वयं को भोलेनाथ से बड़ा मानकर गौ माता के नाम पर दान मांग रहे हैं।