नोवल पुरस्कार पाने वाले भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कही ये बात...
ओस्लो (नॉर्वे)। सोमवार को अर्थशास्त्र (इकोनोमिक्स) के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार की घोषणा की गई। विजेताओं में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी (58) व उनकी पत्नी एस्थर डुफलो (47) और माइकल क्रेमर (55) के नाम शामिल हैं।
वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग के शोध के लिए तीनों अर्थशास्त्रियों को सम्मानित किया गया है। अभिजीत को इकोनोमिक साइंसेज कैटेगरी के तहत यह सम्मान मिला है। अभिजीत फिलहाल मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी में इकोनोमिक्स के प्रोफेसर हैं।
वे अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब के को-फाउंडर हैं। उन्होंने 1981 में कोलकाता यूनिवर्सिटी से बीएससी किया था, जबकि 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए किया। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 1988 में पीएचडी की।
अमेरिका में मौजूद अभिजीत ने एक चैनल से बातचीत में भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि यह डगमगाई हुई है। उन्होंने कहा कि अभी उपलब्ध आंकड़े यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द सुधरने वाली है। मौजूदा ग्रोथ डेटा को देखने के बाद निकट भविष्य में इकोनोमी रिवाइवल को लेकर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
पिछले 5-6 साल में हमने कुछ गति देखी, लेकिन अब यह भरोसा भी जा चुका है। नोबल पुरस्कार मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सोचा नहीं था कि करिअर में इतनी जल्दी मुझे यह सम्मान मिलेगा। मैं पिछले 20 साल से यह रिसर्च कर रहा हूं। हमने गरीबी कम करने के लिए समाधान देने का प्रयास किया है।