मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं होता
हिंदी हमारी मातृभाषा, हमें इस पर गर्व
उज्जैन। जिस भाषा में हम सपने देखते हैं वहीं हमारी मातृभाषा होती है। मातृभाषा में अध्ययन कर समूचे व्यक्तित्व का विकास संभव है। हिंदी हमारी मातृभाषा है हमें इस पर गर्व करना चाहिये। मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं होता।
यह उद्गार भारतीय भाषा अभियान, भारतीय भाषा मंच एवं नवसंवत विधि महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिंदी पखवाड़े के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद् अशोक कड़ेल ने व्यक्त किये। विक्रम विवि हिंदी अध्ययनशाला की अध्यक्ष डॉ. प्रेमलता चुटेल ने कहा कि हमारी मातृभाषा पर हमें पखवाड़ा मनाना पड़ रहा है। हम आजादी के 75 वर्षों के बाद भी एक देश एक भाषा को लागू नहीं कर पाए है। शासकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.एन. शर्मा ने कहा कि विधि के क्षेत्र में हिंदी को मान्यता मिलती जा रही है। अब उच्चतम न्यायालय के निर्णय भी हिंदी में मिलने लगे हैं यह हमारी सफलता है। डॉ. राकेश ढंड ने कहा कि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास मातृभाषा से ही सभव है। विक्रम विश्वविद्यालय हिंदी विभाग की प्रो. गीता नायक ने कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है। हमें अपने हस्ताक्षर हिंदी में करना चाहिये। कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण नवसंवत विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विशाल शर्मा ने दिया। स्वागत डायरेक्टर कमलेश गुप्ता, डॉ. अश्विन लोया, डॉ. आशीष रावल, डॉ. नीरज सारवान ने किया। संचालन डॉ. जफर महमूद ने किया एवं आभार डॉ. बबीता यादव ने माना।