दूध के भाव कम करने की मांग की तो कुछ लोगों ने की सोशल मीडिया पर निंदा
2 दिनों से डॉ. विमल गर्ग के पास कुछ दूध विक्रेताओं, उत्पादकों तथा किसानों के फोन आ रहे
उपभोक्ता हित में मैंने दूध की भाववृद्धि रोकने की पहल की- डॉ. गर्ग
उज्जैन। दूध के भाव प्रतिवर्ष ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ में बढ़ते हैं और वर्षा ऋतु के मध्य में कम हो जाते हैं। यह वर्षों की परंपरा है। इसी क्रम में जब मैंने वर्षा ऋतु के समापन की बेला में यह सुना कि दूध के भाव कम करने की जगह बढ़ाए जा रहे हैं तो व्यापक उपभोक्ता हित में व्यक्तिगत पहल कर जिलाधीश से अनुरोध किया।
उक्त बात डॉ. विमल गर्ग ने कही। आपने कहा कि मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूं जिलाधीश शशांक मिश्रा का जिन्होंने इस पहल को गंभीरता से लिया और तत्संबंधी आदेश जारी किए। विगत 2 दिनों से मेरे पास कुछ दूध विक्रेताओं, उत्पादकों तथा किसानों के फोन आ रहे हैं। मुझे यह भी बताया गया है कि फेसबुक तथा अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर मेरे इस कदम की कुछ लोग निंदा कर रहे हैं। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरा कोई निजी हित इसमें नहीं है। विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर मैं अपनी संस्थाओं के माध्यम से तथा निजी स्तर पर पहल करता रहा हूं। जब दूध के भाव बढ़ने की सूचना मुझे मिली तो उपभोक्ता हित में यह पहल की। वर्षा ऋतु में जब घास तथा जल की आपूर्ति सुगम हो जाती है तथा उत्पादन की कीमत में कमी आती है तब इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए, यह मेरी सोच है। इसमें उत्पादक किसान, पशुपालकों तथा विक्रेताओं को कोई हानि नहीं है।
फिर भी किसी को मेरे इस कदम से कष्ट हुआ हो तो मैं खेद जताता हूं। आगे भी सामाजिक हित में विभिन्न मुद्दों पर मैं अपने प्रयास जारी रखूंगा।