हस्तलिखित संकेत मंजरी टीका पाण्डुलिपि की हिन्दी व्याख्या आर्य समाज के पुस्तकालय में भेंट
अष्टांगहृदयम् की 15वीं शताब्दी की अप्रकाशित एवं अलब्ध व्याख्या
उज्जैन। महर्षि वागभट ने 6ठी शताब्दी में आयुर्वेद के महान् तथा लोकप्रिय अष्टांगहृदयम् ग्रंथ की रचना की थी। जिसकी अनेक व्याख्याओं में से एक 15वीं शताब्दी में दामोदर रचित हस्तलिखित संकेत मंजरी टीका पाण्डुलिपि को आर्य समाज उज्जैन के प्रधान डॉ मणीन्द्र व्यास ने इसे साप्ताहिक सत्संग में प्रस्तुत किया।
इस हस्तलिखित पाण्डुलिपि पर पिछले 35 वर्षो से कार्य करने के बाद इसकी अनंतसुन्दरी हिन्दी व्याख्या आर्य समाज उज्जैन के पुस्तकालय में भेंट करते हुए डॉ. मणीन्द्र व्यास ने इसके महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक वैद्य बाबूलाल पंड्या, मंत्री संजय सोनी, पुस्तकाध्यक्ष राठौर भी उपस्थित थे। कार्यक्रम से पहले देवयज्ञ हुआ। गोपाल सोनी ने ईश प्रार्चना की। महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन पर राजेन्द्र शर्मा ने प्रकाश डाला तथा विश्व हृदय दिवस का महत्व बताया। मीनू व्यास ने सत्यार्थ प्रकाश की व्याख्या की।