महाकाल की भस्मी और देश की पवित्र नदियों के जल से बनी मां काली की अखंड मूर्ति
3 पीढ़ियां मिलकर बनाती है पूर्ण मूर्ति, खंडित मूर्ति का पूजन अशुभ
उज्जैन। शहर में एक ऐसे मूर्तिकार भी हैं, जो न सिर्फ माता की अखंड मूर्ति का निर्माण करते हैं, बल्कि देश की पवित्र नदियों के जल और बाबा महाकाल की भस्म का भी मूर्ति निर्माण में उपयोग करते हैं। पंचमपुरा में रहने वाले प्रहलाद नाथ (भोलेनाथ) प्रतिवर्ष अखंड मां काली की मूर्ति बनाते हैं जो जय मां दुर्गा जागरण समिति द्वारा अशोकनगर में स्थापित होती है। प्रहलाद नाथ मूर्ति के लिए अमरनाथ जी, केदारनाथ जी ,बद्रीनाथ जी, मां कामाख्या देवी, मां नर्मदा, मां शिप्रा, मां गंगा, मां ज्वालेश्वरी के जल का उपयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त भगवान महाकाल की भस्म से माताजी की जटाएं समाहित रहती है। माताजी के त्रिपुंड पर भी भस्म लगाई जाती है। प्रहलाद नाथ की तीन पीढ़ियां पूरी शुद्धता के साथ, प्रतिदिन 6 से 8 घंटे, पूरे 1 माह तक, मूर्ति का निर्माण करती है। विजय बेचैन पहले पेंटिंग से मूर्ति बनाते हैं फिर महेंद्र बेचैन और चित्रांश के साथ प्रहलाद नाथ मूर्ति बनाते हैं। मूर्ति की विशेषता बताते हुए मूर्तिकार ने बताया उज्जैन सहित पूरे देश में खंडित मूर्ति बैठाई जाती है, जबकि वे इसके पक्षधर नहीं हैं क्योंकि शास्त्रों में भी खंडित मूर्ति का पूजन अशुभ फलदाई बताया गया है। उन्होंने बताया है कि शहर में स्थापित होने वाली यह पहली अखंड मूर्ति है जो पूरी शुद्धता के साथ बनाई गई है। सांचे से मूर्ति बनाने के इस युग में, मां काली की मूर्ति, जब उनके घर आंगन से स्थापित होने जाती है तो परिवार के लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।