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इन्दौर, राजस्थान और महाराष्ट्र में इस दीपावली जलेंगे उज्जैन में बने डिझाईनर दीये



सोडंग गांव के माटी कलाकार देवीलाल कर रहे 6 लाख दीयों का निर्माण, स्वरोजगार योजना में मिले ऋण से मिला अपने व्यापार को फैलाने का मौका
उज्जैन | दीपावली शब्द को यदि दो भागों में तोड़ा जाये, तो निकलते हैं दीप और आवली, जिसका अर्थ होता है दीपों की पंक्ति। बिना दीयों के दीपावली त्यौहार की कल्पना करना भी असंभव है। दीये का एकमात्र कार्य होता है खुद जलकर चारों तरफ रोशनी फैलाना। खुशियों और रोशनी के पर्व दीपावली में इस बार इन्दौर, राजस्थान और महाराष्ट्र के घरों को रोशन करेंगे उज्जैन के ग्राम सोडंग में बने आकर्षक 26 तरह की विभिन्न डिझाईनों के दीये। इन्हें मूर्तरूप देने में जुट गये हैं 36 वर्षीय माटी कलाकार देवीलाल।
    देवीलाल को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत माटी कला बोर्ड के द्वारा तीन लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है। देवीलाल के परिवार में पत्नी और दो लड़के हैं। पिछले छह सालों से देवीलाल और उनका पूरा परिवार डिझाईनर दीये और मटके बनाने का काम कर रहा है, लेकिन कुछ महीने पहले तक देवीलाल केवल 10 से 20 हजार डिझाईनर दीये बनाने का ऑर्डर ही ले पाते थे। ऐसा नहीं था कि उनके बनाये गये दीयों की डिमांड कम थी, लेकिन बड़े पैमाने पर दीये बनाने के लिये उनके पास पूंजी की कमी थी। बिना पर्याप्त पूंजी के देवीलाल किसी भी प्रकार के संसाधन को जुटाने में असमर्थ थे। हुनरमन्द होने के बावजूद हुनर का लाभ न ले सकने वाले दीये बनाने वाले देवीलाल की हालत वैसी ही थी जैसे दीया तले अंधेरा। इसके अलावा ऑर्डर देने वाली पार्टी से एडवांस भी नहीं मिलता था।
    अब लोन स्वीकृत हो जाने से देवीलाल बड़े पैमाने पर अपने हुनर से बनाये हुए दीयों को न केवल प्रदेश के दूर-दूर तक के हिस्सों में, बल्कि प्रदेश की सीमाओं से परे अन्य राज्यों तक भी पहुंचा सकेंगे। देवीलाल के घर में दीये बनाने की तीन मशीनें हैं, जिनमें 26 प्रकार की डिझाईनों के सांचे हैं। डिझाईन का नम्बर प्रत्येक दीये के पीछे अंकित होता है। दीये बनाने के लिये विशेष प्रकार की मिट्टी, सांचे, तेल और पैकेजिंग का सामान उन्हें बाहर से मंगाना पड़ता है।
    देवीलाल कहते हैं कि हर साल दीपावली पर केवल इन्दौर में तकरीबन एक करोड़ डिझाईनर दीयों का उठाव होता है। इसके अलावा यदि उज्जैन की बात की जाये तो यहां 35 से 40 लाख दीयों की डिमांड होती है। देवीलाल कहते हैं कि उनकी हमेशा से यही इच्छा रही है कि उनके बनाये हुए दीयों की जगमगाहट से ज्यादा से ज्यादा घर रोशन हों और वहां रोशनी के साथ-साथ खुशियों का भी विस्तार हो सके। इस नेक कार्य में इस बार मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की विशेष सहभागिता रहेगी, जिसके लिये देवीलाल शासन को धन्यवाद देते हैं। इस योजना के तहत मिले ऋण से न केवल देवीलाल गांव में बड़े स्तर पर दीये बनाने का काम कर सकेंगे, बल्कि इससे आसपास के दूसरे गरीब तबके के लोगों को भी रोजगार मिलेगा। इस बार दीपावली पर इन लोगों के घरों में भी खुशियों का दीया जलेगा। साथ ही रोशन मिलेगी उनकी उम्मीदों को।

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