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धर्म और शौर्य के महान ग्रंथ श्री महाभारत को हिंदू घरों से लांछित, अपमानित कर निर्वासित किया गया



देशभर में 120 स्थानों पर कार्यक्रम कर श्री महाभारत ग्रंथ को घर-घर में स्थापित करने के लिए अलख जगाया जाएगा
दिव्य भारत प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित सनातन प्रवाह कार्यक्रम का समापन
उज्जैन। दिव्य भारत प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित सनातन प्रवाह कार्यक्रम का समापन मंगलवार को हुआ। जिसमें विचारोत्तेजक गोष्ठी में धर्मबोध और शौर्यबोध पर विद्वानों ने अपने विचार रखे।
संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष अजीत तिवारी ने संगठन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदु समाज में धर्मबोध एवं शौर्य बोध का पुनर्जागण ही संस्था का एकमात्र लक्ष्य है। प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुमन भाईजी ने बताया कि किसी षड़यंत्र के तहत धर्म और शौर्य के महान ग्रंथ श्री महाभारत को हिंदू घरों से लांछित, अपमानित कर निर्वासित किया गया। इसके साथ ही धर्म और शौर्य भी समाज से निर्वासित हो गया, परिणामस्वरूप हमें पराजयों का देश झेलना पड़ा। नया भारत अब जाग रहा है, दिव्य भारत प्रतिष्ठान नए भारत के निर्माण में धर्म बोध और शौर्य बोध की भूमिका को अनिवार्य मानता है। संस्था के मुख्य न्यासी पवन श्रीवास्तव ने कहा कि देशभर में 120 स्थानों पर कार्यक्रम किया जाएगा तथा श्री महाभारत ग्रंथ को घर-घर में स्थापित करने के लिए अलख जगाया जाएगा। संस्था के मुख्य संरक्षक स्वामी ज्ञान विजय सरस्वती ने दिव्य भारत की संकल्पना को साकार करने में योग और अध्यात्म की भूमिका को उल्लेखित करते हुए अपने आशीर्वचन दिये। कार्यक्रम में विद्वान वक्ताओं में शैलेन्द्र शर्मा और केएन वशी ने अपने विचारों से सबका मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम की समाप्ति पर अनन्या मोड़ की कत्थक प्रस्तुति और स्वामी ज्ञान विजय सरस्वती तथा मुख्य संयोजक माता अमृतानंद सरस्वती के भजन से हुआ। जनसंपर्क अधिकारी दीपक राजवानी के अनुसार कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान शर्मा, संत सुमनभाई, डॉ. अर्चना सुमन द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। नंदनी जोशी के नेतृत्व में 11 महिलाओं का दिव्य भारत संस्थान हेतु गठन किया गया जिसमें साधना उपाध्याय, रेखा भार्गव, गीता सोनकर, श्वेता रावल, गरीमा त्रिपाठी, कीर्ति शर्मा, रश्मि पांडे, मौली पंवार, शोभना जोशी, सीता शर्मा शामिल हैं। कार्यक्रम में विशेष रूप से भगवान शर्मा, सरोज अग्रवाल, पंकज घाटिया, मनीष चौधरी आदि मौजूद रहे।
दो बच्चों की फीस प्रदान की
कार्यक्रम के दौरान संत सुमन भाई तथा डॉ. अर्चना सुमन द्वारा सुदामा निधि के अंतर्गत दो बच्चों को स्कूल की वार्षिक फीस प्रदान की गई। नैंसी प्रजापत और नवीन प्रजापत के माता पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हो पाने के कारण वे स्कूल की फीस भर पाने की स्थिति में नहीं थे जिसके देखते हुए सुमन भाई और डॉ. अर्चना सुमन द्वारा वर्षभर की फीस का चेक प्रदान किया गया।

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