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प्रापॅर्टी पर ले रहे है लोन, तो इन बातों का रखे ध्‍यान



इस दौड़भाग वाली जिंदगी में आपको पैसे की जरूरत कभी भी पड़ सकती है। सीमित सैलरी और बढ़ती महंगाई के चलते ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है। पर्सनल लोन की सीमा होती है, ज्यादा का कर्ज नहीं ले सकते। ऐसा भी हो सकता है कि जरूरत बड़ी रकम की हो और संपत्ति बेचने की योजना बना रहे हों।

ऐसे में प्रॉपर्टी को बेचने के बजाय इसे बैंक में गिरवी रखकर लोन लेने पर विचार कर सकते हैं। ऐसे में प्रॉपर्टी भी बच जाएगी और आपका काम हो जाएगा। हालांकि ऐसे लोन लेने के लिए बहुत सी चीजों की जानकारी रखना और ध्यान देना जरूरी है।

री-पेमेंट पीरियड- प्रॉपर्टी पर मिलने वाले लोन को चुकाने की अवधि 15-20 साल तक हो सकती है। सामान्य लोन के मुकाबले इसके री-पेमेंट की अवधि लंबी होती है। अगर आप इसकी अवधि को छोटी करेंगे तो ईएमआइ बढ़ जाएगी, लेकिन लोन जल्द चुकता हो जाएगा। अगर ज्यादा ईएमआइ नहीं दे सकते हैं तो बीच में जब भी आपके पास सरप्लस पैसे आएं, एक साथ बड़ी रकम जमा करके लोन की अवधि घटा सकते हैं।

लोन अमाउंट
प्रॉपर्टी की कीमत के आधार पर ही लोन अमाउंट तय होता है। अधिकांश बैंक या अन्य लोन देने वाली कंपनियां प्रॉपर्टी का जितना बाजार मूल्य है उसका 50 से 75 फीसद के बीच लोन अमाउंट देती हैं। लोन अमाउंट इस बात पर निर्भर करता है कि प्रॉपर्टी किस जगह पर है और उसकी हालत कैसी है। इस सब के बाद आवेदक का क्रेडिट स्कोर, आय का स्रोत आदि देखा जाता है।

ब्याज दर
प्रॉपर्टी पर लोन लेने पर ब्याज दर अन्य लोन के मुकाबले काफी कम होती है। इसकी शुरुआत 9.65 फीसद प्रति वर्ष से होती है। पर्सनल लोन और गोल्ड लोन पर ब्याज दर इससे अधिक होती है।

कहीं भी कर सकते हैं इस्तेमाल
पर्सनल लोन की तरह ही इस लोन की रकम का इस्तेमाल कहीं भी यहथा- बच्चों की उच्च शिक्षा, व्यपार विस्तार, विदेश यात्रा में किया जा सकता है। सिर्फ किसी गैर-कानूनी जगह पर इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।

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