35 साल बाद फिर से लागू हो सकता है इन्हेरिटेंस टैक्स, तय हो सकती है कैश विड्रॉल लिमिट
बजट में इन्हेरिटेंस टैक्स फिर से लागू करने का ऐलान किया जा सकता है। यह कर पैतृक संपत्ति पर लगता है। इसे 35 साल पहले 1985 में खत्म कर दिया गया था। सरकार एक वित्त वर्ष में बैंक से नकद निकासी की लिमिट तय कर उससे ज्यादा विड्रॉल पर टैक्स लगाने का ऐलान कर सकती है।
ऐसी अटकलें हैं कि टैक्स कलेक्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहने की वजह से सरकार इन्हेरिटेंस टैक्स फिर से ला सकती है। इस बात की भी चर्चा है कि सरकार गरीब हितैषी होने की छवि बनाने, संपत्ति संग्रह की प्रवृत्ति और कालेधन को रोकने के उपाय करना चाहती है।
इन्हेरिटेंस टैक्स को लेकर विश्लेषकों की अलग-अलग राय है। एक बड़े समूह का कहना है कि इसे लागू करने से अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। लेकिन, ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार साहसी और समावेशी कदम बताते हुए इसका ऐलान कर सकती है।
इन्हेरिटेंस टैक्स या एस्टेट टैक्स फिलहाल ब्रिटेन और अमेरिका जैसे विकसित देशों में लागू है। परिजनों, रिश्तेदारों या दोस्तों से कोई संपत्ति मिलने पर यह टैक्स चुकाना पड़ता है। भारत में फिलहाल ऐसा नहीं है।
डिजिटल लेन-देन को बढ़ावे के लिए कैश विड्रॉल टैक्स का ऐलान संभव
पूरे वित्त वर्ष में बैंकों से 10 लाख रुपए से ज्यादा की निकासी पर कैश विड्रॉल टैक्स की घोषणा कर सकती है। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए यह ऐलान किए जाने के आसार हैं। इसी मकसद से आरबीआई ने 1 जुलाई से एनईएफटी और आरटीजीएस के जरिए फंड ट्रांसफर पर शुल्क खत्म कर दिया है।