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राजीव गांधी पुण्‍यतिथि: जनसभा के दौरान आत्‍मघाती में हमले में हुई थी राजीव गांधी की हत्‍या



 तमिलनाडु के श्रीपेरमबदूर में 21 मई 1991 की रात 10:21 मिनट पर हुए आत्मघाती बम धमाके में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। देश के छठवें और सबसे युवा पीएम राजीव गांधी का अचाकन दुनिया से चले जाना हर किसी के लिए किसी सदमे से कम नहीं था। उन्होंने देश की प्रगति के लिए कई कदम उठाए थे। वह देश में कंप्यूटर क्रांति के जनक थे। आज उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं, राजीव की जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलू।

- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कई मामलों में अलहदा थे। रूठे नेताओं को मनाना उन्हें बखूबी आता था। वह नाराज नेताओं को संगठन की कोई अहम जिम्मेदारी सौंप देते थे। ऐसा ही एक किस्सा वर्ष 1985 में विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे का है, जिसे लेकर कांग्रेसी नेताओं में विवाद हो गया। इसी दौरान हरिद्वार के भल्ला कॉलेज मैदान में राजीव की चुनावी सभा रखी गई। उन्होंने टिकट कटने से नाराज रामयश को जौलीग्रांट एयरपोर्ट परिसर में ही बुलवा लिया और वादा किया कि चुनाव के बाद एमएलसी बवा दिया जाएगा। राजीव ने अपना वादा निभाया।
- हरिद्वार के कई लोग राजीव गांधी से सीधा मुलाकात करना चाहते थे। जब इस बात की जानकारी राजीव को हुई, तो वह लोगों के बीच जाने के लिए तैयार हो गए। हर की पैड़ी पर एक खुली जीप में सवार होकर राजीव ने लोगों के साथ सीधा संवाद किया। रास्ते में कई लोगों ने राजीव गांधी को खाने-पीने की चीजें दी, जिन्हें उन्होंने बड़े प्यार से लिया और बिना किसी परहेज के खाया।

- इंदिरा गांधी चाहती थीं कि राजीव की शादी उस जमाने में बॉलीवुड के बादशाह राज कपूर की बड़ी बेटी ऋतु हो। गांधी-नेहरू परिवार की 'कपूर परिवार' से अच्छी दोस्ती थी और वह इसे रिश्तेदारी में बदलना चाहती थीं। अगर इंदिरा की चली होती, तो राजीव की पत्नी सोनिया नहीं, ऋतु होती। बताते चलें कि जब ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में राजीव गांधी पढ़ाई के लिए गए, तो वहां उनकी मुलाकात सोनिया से हुई। बाद में दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और 25 फरवरी 1968 को उन्होंने शादी कर ली। वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई अपनी किताब ‘नेता अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पॉवर इन इंडियन पॉलिटिक्स' में इस घटना का जिक्र किया है।

- राजीव गांधी की हत्या से 5 साल पहले ही अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने 'इंडिया आफ्टर राजीव' नाम से एक रिपोर्ट तैयार की थी। इस 23 पेज की रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 1989 से पहले ही चरमपंथी उनकी हत्या कर देंगे या वह राजनीतिक परिदृश्य से अचानक गायब हो जाएंगे। हुआ भी ऐसा ही। श्रीलंका के आतंकी संगठन लिट्टे ने राजीव गांधी की हत्या कर दी। लिट्टे का प्रमुख प्रभाकरन श्रीलंका में शांति सेना भेजने के राजीव के फैसले से नाराज था। तो क्या माना जाए कि राजीव की हत्या की पटकथा काफी पहले ही लिख ली गई थी। अगर, यह जानकारी समय पर मिली होती, तो शायद राजीव गांधी आज हमारे बीच होते।

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