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आईएस की भारत में पैर जमाने की कोशिश, कश्‍मीर को घोषित किया अपना 'प्रांत'



नई दिल्ली। इराक और सीरिया समेत मध्य पूर्व से उखड़ने के बाद दुनिया भर में अपनी पैर नए सिरे से जमाने की कोशिश में जुटे आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने अब भारत के राज्य कश्मीर को अपना नया "प्रांत" घोषित कर दिया है। आंतकी संगठन का कहना है कि इसके जरिये वह भारतीय उप-महाद्वीप पर ध्यान देना चाहता है। आईएस ने आतंकी इशाक अहमद सोफी की तस्वीर को जारी कर दावा किया है कि वह उनके साथ जुड़ा था, जिसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर स्थित शोपियां में शुक्रवार को मार गिराया था।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही हिंसा से प्रभावित कश्मीर में आईएस के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं। मगर, उसके इस नए दावे को लेकर भारतीय एजेंसियां फिलहाल बहुत गंभीरता नहीं दिखा रही हैं। दरअसल, विलायत-ए-हिंद का मतलब आईएस का एक क्षेत्र अथवा उसके सरगना अबु बकर अल बगदादी के ऑपरेशनल खुरासान के तहत एक प्रांत पर कब्जा है।

अबु बगदादी ने अपनी खिलाफत में ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, अफगानिस्तान, भारत, श्रीलंका, नेपाल और चीन के आधे हिस्से को शामिल करने के लिए इसे खुरासान ऑपरेशन का नाम दे रखा है। कश्मीर में सक्रिय आईएसजेके नामक आतंकी संगठन, जिसे जुंदुल खलीफा भी कहते हैं, आईएस का एक हिस्सा है।

सनसनी फैलाने की कोशिश
वहीं, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि श्रीलंका में हिंसा को अंजाम देने के बाद यह आतंकी संगठन कश्मीर के जरिए अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया में स्थान पाने के लिए ऐसे बयान दे रहा है। वह सनसनी फैलाने के लिए ऐसा दावा कर रहा है। शनिवार को दोपहर बाद इंटरनेट और सोशल साइट्स पर आईएस की गतिविधियों पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कश्मीर को लेकर उसके दावे को सार्वजनिक किया।

यह दावा आईएस की सूचना देने वाली अमाक न्यूज एजेंसी ने किया है। साथ ही माओता न्यूज एजेंसी और निदा-ए-हक नाम की एक उर्दू एजेंसी ने भी यही सूचना दी है। इन दोनों को भी आईएस से जुड़ा हुआ बताया जाता है। कुछ विशेषज्ञों ने यह बताया कि एक अन्य सोशल साइट टेलीग्राम के जरिए आईएस के चैट समूहों में भी इसकी जानकारी दी गई है।

कश्मीर में पैठ का पहले भी कर चुका है दावा
वैसे यह पहला मौका नहीं है जब आईएस की तरफ से कश्मीर में अपनी पैठ बनाने का दावा किया गया हो। तकरीबन तीन वर्ष पहले ही उसने इस्लामिक स्टेट इन जम्मू-कश्मीर (आईएसजेके) बनाने का दावा किया था। वर्ष 2017 में जब भारतीय सुरक्षा बलों ने आईएस के तीन आतंकियों को एक साथ मार गिराया था, तब उनके पास आईएसजेके के बैनर व कुछ कागजात मिले थे। उसके बाद से ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर में आईएस की धमकी को गंभीरता से लेना शुरू किया।

नए आतंकियों को खड़ा करने की कोशिश
सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं बोला गया है, लेकिन एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि आईएस के बचे-खुचे आतंकवादियों की मंशा कश्मीर में नए आतंकियों को खड़ा करने की भी हो सकती है। साथ ही वे वैश्विक स्तर पर यह भी दिखाना चाहते हैं कि आईएस अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। श्रीलंका में आईएस से प्रभावित कुछ आतंकियों ने जिस तरह से नरसंहार किया, उसका भी फायदा उठाने की कोशिश इसके बचे-खुचे आतंकियों ने की है।

कश्मीर में पहुंच बढ़ाने की कवायद

बताते चलें कि श्रीलंका में 21 अप्रैल 2019 को किए गए हमले के बाद आईएस के अबु बकर अल बगदादी का वीडियो भी सामने आया था, जिसमें उसने इसका श्रेय लिया था। सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से आईएस के नए दावे को बहुत गंभीरता से नहीं लिए जाने के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले कुछ वर्षों से यह संगठन कश्मीर में अपनी पहुंच लगातार बढ़ाने की कोशिश में है। शुक्रवार को शोपियां में मारे गए आतंकी की शव यात्रा में भी आईएस के कई झंडे दिखाई दिए।

इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर चल रहा है। यही नहीं, श्रीलंका नरसंहार की जांच करने वाले वहां के अधिकारियों ने यहां तक दावा किया है कि इसकी साजिश रचने वाले प्रमुख आतंकी ने कश्मीर की यात्रा की थी। गौरतरलब है कि वर्ष 2017 में आईएस का अंतिम गढ़ मोसुल (इराक) में ध्वस्त कर दिया गया था। वहां से आईएस के हजारों आतंकियों को मार गिराया गया था, जबकि कुछ आतंकी बाहर भी भागने में सफल रहे थे। उसके बाद से आईएस एक बार तुर्की में और एक बार केंद्रीय अफ्रीका में अपना नया अड्डा बनाने की घोषणा कर चुका है, लेकिन वे सब गलत साबित हुए हैं।

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