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प्रमुख आयकर आयुक्त नकद भुगतान मामले में मंडी कारोबारियों से करेंगे चर्चा


ज्जैन। नोट बंदी के बाद बाजार में कैशलेस का चलन तेजी से बढ़ा है। इसी के चलते प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में भी उपज का भुगतान ऑनलाइन होने लगा है। बीते कुछ दिनों से राज्य सरकार पुनः नकद भुगतान की शुरुआत कराना चाहती है। इसके लिए जिला प्रशासन कवायद भी कर रहा है। लेकिन नकद भुगतान में आयकर का कानून आड़े आ रहा है। नजीजतन मंडी का कारोबार कैशलेस को लेकर उलझता दिखाई दे रहा है। मामले को लेकर प्रदेश के प्रमुख आयकर आयुक्त सोमवार को इंदौर में प्रदेश की मंडियों के कारोबारियों से चर्चा करेंगे।

केंद्र ओर राज्य सरकार के आदेशों के बीच कैशलेस मामले में मंडी का कारोबार असमंजस की स्थिति में आ गया है। आयकर नियमानुसार किसानों का भुगतान 10 हजार रुपए से अधिक नहीं कर सकते हैं। वर्तमान में उपज की लागत के मान पर हर किसान को एक से डेढ़ लाख रुपए का भुगतान होता है, जो वर्तमान में ऑनलाइन किया जा रहा है। लेकिन जिला प्रशासन अब नकद भुगतान कराने पर जोर दे रहा है। मामले में कलेक्टर बैठक लेकर व्यापारियों से चर्चा भी कर चुके हैं। कांग्रेस नेता भी नकद भुगतान के पक्ष में हैं। प्रदेश कृषि मंडी व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल एवं महामंत्री प्रकाश तल्लेरा ने बताया कि कारोबारियों की इन उलझनों को सुलझाने के लिए प्रदेश की मुख्य आयकर आयुक्त से चर्चा की है। उन्होंने मंडियों के विभिन्न व्यापारी संघ के प्रतिनिधियों को 11 मार्च सोमवार को इंदौर में चर्चा के लिए बुलाया है। जहां पर अधिकारी आयकर की पेचीदगियों को दूर करने का प्रयास करेंगे। गौरतलब है कि वर्तमान में रबी का सीजन चल रहा है, जिसमें मंडियों में करोड़ों रुपए का गेहूं बिक्री के लिए आ रहा है। जिसका भुगतान ऑनलाइन किया जा रहा है।

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