न्यायपालिका की भी अक्षमता के विरूद्ध आमरण अनशन- आचार्य सत्यम्
उज्जैन। मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् (सत्यनारायण पुरोहित अधिवक्ता) ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने पिछले वक्तव्य में बताया था कि मध्यप्रदेश को देश में सर्वाधिक दुष्कर्मों के लिए कुख्यात बनाने के लिए प्रदेश के नाकारा सत्ताधारियों के साथ ही भ्रष्ट और निकम्मा पुलिस प्रशासन तथा न्यायपालिका की अक्षमता भी उत्तरदायी है। महाशिवरात्रि 4 मार्च को उन्होंने भारत एवं मध्यप्रदेश के मुख्य न्यायाधीशगणां को अधीनस्थ न्यायपालिका की भी अक्षमता की जानकारी देकर 6 मार्च तक निर्दोष पीड़ितों को तत्काल अवैध परिरोध से मुक्त कर प्रकरण की न्यायिक जांच के आदेश प्रदान न करने पर उच्च न्यायालय इंदौर के समीप गांधी प्रतिमा पर आमरण अनशन का सूचना पत्र ऑनलाईन प्रेषित किया है, जिसमें जानकारी दी गई है कि अवयस्क अ.जा. कन्या के अपहरण और दुष्कर्म के प्रकरणों के साक्षी पीड़िता के बड़े भाई के साथ ही उसकी निर्दोष पत्नि और मामा को क्राइम ब्रांच उज्जैन से सांठ-गांठ कर गंभीर अपराध के आरोपियों ने मादक पदार्थ चरस एवं पिस्टल के झूठे आपराधिक प्रकरण में उलझाया, जो 13.10.2018 से आज तक भैरवगढ़ जेल में निरूद्ध हैं। उन्हें अंतरिम जमानत पर भी मुक्त करने में न्यायपालिका अक्षम रही है। जबकि एन.डी.पी.एस. एक्ट के अंतर्गत आरोप-पत्र के साथ अनिवार्य रूप से मादक पदार्थ प्रमाणित करने के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला रिपोर्ट और बिना आपराधिक रेकार्ड के निर्दोष आरोपियों से जप्त कथित चरस तथा पिस्टल आज तक विचारण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने में पुलिस और अभियोजन विफल रहा है। आचार्य सत्यम् ने बताया कि न्यायपालिका से सत्याग्रह के माध्यम से न्याय प्राप्ति का उनका यह अनुष्ठान चार माह से अधिक न्याय के लिए उनके संघर्ष को कार्यपालिका द्वारा विफल करने के उपरांत प्रारंभ करने के लिए वे बाध्य हुए हैं। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशगणों ने मुख्य न्यायाधीश से न्याय प्राप्ति हेतु पत्रकार वार्ता करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। मध्यप्रदेश की न्यायपालिका के इतिहास में उनका न्यायार्थ सत्याग्रह प्रदेश को दुष्कर्म शिरोमणि के कलंक से बचाने के लिए न्यायपालिका के ज़मीर को जगाने के लिए अनिवार्य है।