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49 प्रतिशत लोगो ने माना आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मोदी सबसे ज्‍यादा सक्षम



आतंकवाद से निपटने के लिए देश के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे उपयुक्त नेता समझते हैं वहीं उनका मानना है कि पाकिस्तान को लेकर, साथ ही कश्मीर पर मौजूदा मोदी सरकार की नीतियां केंद्र में पिछली मनमोहन सिंह सरकार या अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की नीतियों से बेहतर हैं. ये निष्कर्ष एक्सिस माई इंडिया की ओर से इंडिया टुडे के लिए कराए गए पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) का है. ये सर्वे ऐसे वक्त में किया गया जब पुलवामा हमले के बाद देशभर के लोग आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं.

PSE सर्वे में जब प्रतिभागियों से पूछा गया कि आतंकवाद से निपटने के लिए सबसे उपयुक्त नेता किसे मानते हैं तो 49 प्रतिशत   ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिया. राहुल गांधी को सिर्फ 15 प्रतिशत   प्रतिभागियों ने आतंकवाद से निपटने के लिए सबसे बेहतर बताया. इस सवाल के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का  3 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने नाम लिया. आतंकवाद से निपटने में सबसे उपयुक्त नेता के तौर पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बीएसपी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव में हर किसी का 1-1 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने नाम लिया.

आतंकवाद से निपटने में कौन नेता सबसे सक्षम?
PSE सर्वे में दक्षिण को छोड़ देश के बाकी सभी हिस्सों के लोगों ने मोदी को ही आतंकवाद से निपटने में सबसे उपयुक्त नेता माना. देश के उत्तर, पूर्व और पश्चिम अंचलों की बात की जाए तो इस सवाल के जवाब में मोदी बहुत बड़े फासले के साथ राहुल गांधी से आगे रहे. उत्तर में 59 प्रतिशत  प्रतिभागियों, पूर्व में 52 प्रतिशत  और पश्चिम में 57 प्रतिशत   ने मोदी को आतंकवाद से निपटने में सबसे उपयुक्त नेता माना. वहीं दक्षिण में 36 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने राहुल को आतंकवाद से निपटने में सबसे उपयुक्त नेता कहा. यहां मोदी के पक्ष में सिर्फ 29 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने राय व्यक्त की. राहुल को उत्तर में महज़ 7 प्रतिशत , पूर्व में 8 प्रतिशत   और पश्चिम में 10 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने आतंकवाद से निपटने में सबसे उपयुक्त नेता माना.

पाकिस्तान पर मोदी की नीति सबसे सही  
पाकिस्तान को लेकर, साथ ही कश्मीर पर मौजूदा मोदी सरकार की नीतियों को सबसे ज्यादा 47 फीसदी प्रतिभागियों ने बेहतर माना. पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार की नीति को 22 प्रतिशत   प्रतिभागियों ने बेहतर माना. वहीं अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए की पूर्ववर्ती सरकार की नीति 12 प्रतिशत  प्रतिभागियों की नज़र में सबसे बेहतर रही.  

 सर्जिकल स्ट्राइक नहीं युद्ध है इलाज़
अधिकतर भारतीयों का मानना है कि सरहद पार से फैलाए जाने वाले आतंकवाद का सटीक इलाज पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक नहीं बल्कि युद्ध है.

PSE सर्वे में 36 प्रतिशत   प्रतिभागियों ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ने के पक्ष में राय व्यक्त की. वहीं 23 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने PoK में आंतकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन किया.

सर्वे में 18 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने कहा कि जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अज़हर के ख़िलाफ़ वैसा ही ऑपरेशन किया जाना चाहिए जैसा कि अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज़ ने 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसमा बिन लादेन को मारने के लिए किया था.  
पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर अलग थलग करने के पक्ष में सर्वे में सिर्फ़ 15 प्रतिशत   प्रतिभागियों ने ही राय व्यक्त की.

 ISI, पाक फौज असल गुनहगार
14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले के लिए सबसे अधिक 31 प्रतिशत   प्रतिभागी कुख्यात पाक खुफिया एजेंसी ISI और पाकिस्तानी सेना को असल गुनहगार मानते हैं. 13 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने जैश-ए-मोहम्मद और 19 प्रतिशत   प्रतिभागियों ने पुलवामा हमले के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को दोषी ठहराया. PSE रिपोर्ट के मुताबिक 27 प्रतिशत   प्रतिभागियों  ने जैश-ए-मोहम्मद, ISI, पाकिस्तानी  सेना और प्रधानमंत्री इमरान खान में से सभी को दोषी माना.

 2016 सर्जिकल स्ट्राइक
PSE में जब 2016 सर्जिकल स्ट्राइक के असर के बारे में पूछा गया तो 58 प्रतिशत   का कहना था कि ये पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को रोकने में कारगर रही है. जबकि 25 प्रतिशत   प्रतिभागियों ने सर्जिकल स्ट्राइक को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को रोकने में सफल नहीं माना.

PSE में पुलवामा हमले के लिए क्या कारण हो सकता है? ये पूछे जाने पर अधिकतर प्रतिभागियों- 57 प्रतिशत   ने ‘पता नहीं’ के विकल्प को चुना. 13 प्रतिशत  प्रतिभागियों ने हमले के कारण के तौर पर इंटेलीजेंस की नाकामी और 17 प्रतिशत   प्रतिभागियों ने सरकार की ‘कमजोर आतंकविरोधी नीति’ का नाम लिया.

बता दें कि 14 फरवरी 2019 को दोपहर बाद जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के काफ़िले पर आत्मघाती हमलावर के हमले में 40 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए. इस हमले की जिम्मेदारी पाक स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली जिसका सरगना मसूद अज़हर है.      

PSE सर्वे 20 से 22 फरवरी के बीच देशभर में 29 राज्यों में किया गया. ये सर्वे टेलीफोन पर लिए गए साक्षात्कारों पर आधारित हैं. इस सर्वे में 12,815 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.  

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